Farmer Protest

किसान नेता राजू अहलावत भारतीय किसान यूनियन छोड़ हुए भाजपा में शामिल

भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत ने यूनियन का साथ छोड़कर अब लखनऊ में भाजपा का दामन थाम लिया है।

Prabhat Chaturvedi

भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत ने यूनियन का साथ छोड़कर अब लखनऊ में भाजपा का दामन थाम लिया है। वहीं, केंद्र सरकार के निर्णयों के खिलाफ किसान आंदोलन में सक्रिय रहे अहलावत ने बीते 5 सितंबर को आयोजित किसान महांपचायत में अहम भूमिका निभाई थी।

ऐन वक्त पर राजू अहलावत ने राकेश टिकैत का साथ छोड़कर अब भाजपा का दामन थाम लिया है। राजू अहलावत वर्तमान में भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष व उत्तराखंड के प्रभारी भी थे। लखनऊ में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यक्रम के दौरान प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा का झंडा थाम लिया।

राजू अहलावत का जाना यूनियन के लिए बड़ा झटका

वहीं, किसान आंदोलन के बीच ही राजू अहलावत का पाला बदलकर भाजपा में जाना यूनियन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि राजू अहलावत खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

भारतीय किसान यूनियन के मजबूत स्तम्भ के रूप में माने जाने वाले किसान नेता राजू अहलावत भैंसी ने लखनऊ में भव्य समारोह के बीच भाजपा का दामन थाम लिया। लखनऊ में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के सम्मेलन के दौरान वहां मौजूद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के हाथों उन्होंने पार्टी का झंडा थामा।

कई अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी थामा बीजेपी का साथ

इस बीच भव्य समारोह में बसपा, कांग्रेस, सपा और लोकदल के भी कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। इस कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल महासचिव व उत्तराखंड राज्य प्रभारी राजू अहलावत ने भी यूनियन से खुद को अलग कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की | भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने राजू अहलावत का स्वागत किया और उनको पार्टी की सदस्यता दिलाई।

अहलावत पश्चिमी यूपी में एक बड़े किसान नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। वे 7 साल तक भाकियू के मुजफ्फरनगर इकाई के अध्यक्ष रहे और उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को लेकर कई बड़े आंदोलन यहां किए गए।

किसान आंदोलन में भी राजू अहलावत भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के साथ जुटे नजर आते रहे हैं। जनपद में 26 सितंबर को आयोजित भारत बंद में भी राजू अहलावत ने हाई-वे पर चक्का जाम कर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी ।

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सितंबर को यहां आयोजित किसान महापंचायत को सफल बनाने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी और दिन-रात इस आयोजन की सफलता के लिए जुटे रहे।

अब उनका अचानक ही अराजनैतिक से राजनीतिक हो जाने का निर्णय सभी को चौंका रहा है। राजनीतिक स्तर पर चर्चा है कि राजू अहलावत 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में खतौली से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

भाजपा में उनका शामिल होना भी इसी योजना का हिस्सा हो सकता है। वहीं, राजू अहलावत का यूनियन छोड़कर जाना किसान संगठन के लिए भी झटका माना जा रहा है।

कहीं संपत्ति जांच के डर से तो नहीं बदली पार्टी

किसान नेता के अचानक भाजपा का दामन थाम लेने से क्षेत्र में इस बात की भी चर्चा तेज है कि किसान नेता राजू अहलावत ने किसी डर के कारण भाजपा का दामन थामा है। क्योंकि राजू को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का बेहद करीबी माना जाता रहा है और यही नहीं पिछले 10 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन में भी राजू अहलावत ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।

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