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समलैंगिक जोड़े की सुरक्षा का मामला: मद्रास हाईकोर्ट के जज ने सुनवाई के दौरान कहा – समलैंगिक मामलों में मैं जागरुक नहीं, पहले मनोविज्ञानी से चर्चा करूँगा

जज ने कहा - यह एक ऐसा मामला है, जो दर्शाता है कि समाज अभी भी समान यौन संबंधों के साथ सहज नहीं है। इसलिए, वे सभी पहलुओं को जाने बिना सुनवाई का संचालन नहीं करेंगे।

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन आनंद ने सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें समलैंगिक मामलों की बेहतर समझ नहीं है। इसलिए, वे एक मनोवैज्ञानिक के साथ इस पर चर्चा करेंगे, फिर वे आगे की सुनवाई करेंगे। न्यायमूर्ति आनंद एक समलैंगिक जोड़े की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिन्होंने अदालत से सुरक्षा मांगी है। समलैंगिक जोड़े की सुरक्षा ।

कहा-पहले मामले को खुद समझे फिर आगे निर्णय ले

जस्टिस आनंद ने कहा कि उन्हें इस तरह के रिश्तों की

बहुत जानकारी नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि वे इसे

पहले खुद समझें। फिर एक निर्णय लें। मामले में

संवेदनशीलता और सहानुभूति की आवश्यकता है। यह

एक ऐसा मामला है, जो दर्शाता है कि समाज अभी भी

समान यौन संबंधों के साथ सहज नहीं है। इसलिए, वे सभी पहलुओं को जाने बिना सुनवाई का संचालन नहीं करेंगे।

जज ने कहा- शब्द दिल से आने चाहिए, दिमाग से नहीं

जज ने कहा- शब्द दिल से आने चाहिए, दिमाग से नहीं। मामला तब शुरू हुआ जब दो महिलाओं में से एक के माता-पिता ने गुमशुदगी दर्ज कराई। समलैंगिक जोड़े ने तब संरक्षण के लिए अदालत में याचिका दायर की। जस्टिस आनंद ने मामले में याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता के लिए काउंसलिंग का भी आदेश दिया है।

अगली सुनवाई 7 जून को होगी

उन्होंने इस सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि इस मामले में शब्द दिल से आने चाहिए, दिमाग से नहीं। अगर मैं इस मुद्दे पर खुद पूरी तरह से जागरूक नहीं हुआ, तो यह संभव नहीं होगा। अब इस मामले की सुनवाई 7 जून को होगी।

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