न्यूज – भारत में आजकल पत्रकारों की स्वतंत्रता का मुद्दा उठा हुआ है शुरुआत हुई है रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी के उस बयान से जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो संतों के साथ मॉब लिंचिंग पर सवाल पूछा था।
भारत में जैसे राजनीतिक पार्टियां होती है वैसे ही मीडिया भी कई हिस्सों में बट चुका है यही कारण है की पत्रकारों की आवाज उठाने वाला आज कोई नहीं है जब 9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगे थे तो उनका समर्थन करने विपक्षी पार्टियां पहुंच गई राहुल गांधी तो जेएनयू में जाकर खुद छात्रों के समर्थन में खड़े हो गए थे और अभिव्यक्ति की आजादी की मांग करने लगे थे,
देश में 2014 से जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई है तब से अब तक अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस खूब हुई है देश में मॉब लिंचिंग का मुद्दा हो या फिर असहिष्णुता ऐसे ही सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चाएं हुई है टीवी डिबेट हुई है लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है अभिव्यक्ति की आजादी है क्या….
जो कांग्रेस पार्टी अभिव्यक्ति की आजादी और असहिष्णुता का राग अलापती रही है उसी पार्टी से सवाल करने पर यह आजादी खत्म हो जाती है आपको याद होगा अर्नब गोस्वामी ने टीवी डिबेट में महाराष्ट्र पालघर में हुई मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस पार्टी से इस पर सवाल पूछा था, देश में जब भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती हैं तो कांग्रेस पार्टी बीजेपी पर हम हमलवार हो जाती है और उससे सवाल करने लगती हैं लेकिन इस बार खुद के ही राज्य में जहां पर उसकी पार्टी अलायंस में है सत्ता में है उनसे सवाल करने पर पत्रकारों की आवाज दबाई जा रही है। आखिर कांग्रेस का दोगलापन कब तक चलेगा?
वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी से पालघर पर बोलते को कहा और सोनिया गांधी के लिए कहा था कि वे इटली से आई है और उनका असली नाम एंटीवियो मोंटी है
इस बात से कोई भी सहमत हो सकता है कि सोनिया गांधी का असली नाम क्या है और वह कहां से आई है लेकिन अगर एक पत्रकार खुलकर टीवी पर यह सब कह रहा है तो क्या वह अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र सरकार में अलायंस में है और उसी का फायदा उठाकर एक स्वतंत्र पत्रकार की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है
अर्नब गोस्वामी की टीवी डिबेट में दिए बयान के बाद अगली रात को उन पर और उनकी पत्नी पर हमला होता है उस पर अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस के अंतिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर दिए बयान के बाद कांग्रेस शासित राज्यों में करीब 200 एफआईआर अर्नब गोस्वामी पर हो जाती है इसके बाद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होती है और सुप्रीम कोर्ट सभी f.i.r. पर रोक लगाते हुए केवल एक f.i.r. पर की अनुमति देता है इसके बाद भी टीवी चैनल रिपब्लिक भारत के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी से सोमवार को मुंबई पुलिस करीब 12 घंटे तक पूछताछ करती है क्या इस देश में अब सुप्रीम कोर्ट का कोई महत्व नहीं रह गया है,
देश में फिलहाल जो स्थिति है उसके बाद भी एक छोटे से मुद्दे को इतना बड़ा बनाया जा रहा है मुंबई पुलिस को कोरोना से लड़ने की बजाय व्यक्तिगत मुद्दे सुलझाने के लिए काम में लगाया जा रहा है अगर कांग्रेस को अभिव्यक्ति की आजादी देखनी है तो आपातकाल में मीडिया और आम जनता के साथ क्या-क्या हुआ था ये किसी से छुपा नहीं है।
टीवी चैनल रिपब्लिक भारत के संस्थापक अर्णब गोस्वामी से सोमवार को मुंबई पुलिस ने करीब 12 घंटे पूछताछ की। गोस्वामी से यह पूछताछ उनके द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर की गई टिप्पणियों पर दर्ज एफआईआर के संदर्भ में की जा रही है। पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हमले के आरोपित दोनों युवकों को भोईवाड़ा कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसवी पिंपले ने जमानत दे दी।
अर्णब सोमवार को सुबह करीब 10 बजे मुंबई के एन.एम.जोशी मार्ग पुलिस थाने पहुंचे थे। पुलिस थाने में प्रवेश करने से पहले उन्होंने अपने ही चैनल के दो पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि सच्चाई की जीत होगी। पूछताछ लंबी खिंचने के कारण ही वे सोमवार अपने टीवी चैनल पर रोज शाम सात बजे आनेवाला बहस का शो 'पूछता है भारत' भी प्रस्तुत नहीं कर सके।
अर्नब गोस्वामी के साथ हालांकि पत्रकार खुलकर सामने आ नहीं रहे हैं समर्थन के लिए लेकिन कुछ पत्रकारों ने ट्विटर पर लिखा है आजतक के एंकर रोहित सरदाना ने लिखा 'किसी पत्रकार के विचार या या प्रस्तुति के तरीक़े आपको नापसंद हो सकते हैं. लेकिन अदालती कार्रवाई के बावजूद अगर आप उसके ख़िलाफ़ पुलिसिया तंत्र के बेजा इस्तेमाल पर अपनी चुप्पी का पर्दा डालते हैं तो यही लोग कल आपके घर तक भी आएँगे'
वही आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप ने लिखा 'अगली बारी उन सबकी हो सकती है जो आज चुप हैं। पुलिस तंत्र का किसी भी पत्रकार पर बेजा इस्तेमाल शक पैदा करता है कि आप उसकी सोच और प्रस्तुति के आगे जाकर उसके ख़िलाफ़ प्रतिशोध से ग्रस्त हैं। क़ानून से उपर कोई नहीं लेकिन क़ानून का मज़ा चखाने का अंदाज दायरा लांघ रहा है।पूरा सच आना चाहिए।'
न्यूज़ नेशन के एडिटर बैंकर दीपक चौरसिया ने लिखा 'एक ओपन टेलिविज़न डिबेट के एक टिप्पणी पर #ArnabGoswami से 12 घंटे पूछताछ। वहीं #Palghar में अफ़वाह को लेकर संतों के क्रूर और बर्बर तरीक़े से हत्या को रफ़ा दफ़ा किया जा रहा है।यह साबित करता है कि देश के सबसे क़ाबिल में से एक महाराष्ट्र पुलिस के गले पर एक राजनीतिक पट्टा है।#Correct'