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इंदौर की 37 वर्षीय नेहा चौधरी दुनिया छोड़कर चली गयी लेकिन रोशन कर गईं 4 जिंदगियां, बोलती थी मेरे अंग दान करना

Deepak Kumawat

डेस्क न्यूज़- इंदौर की 37 वर्षीय नेहा चौधरी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जिनकी आंखें रौशन कर देंगी जिनके जीवन में रोशनी होगी. उनका लीवर और दोनों किडनी अलग-अलग लोगों को डोनेट की गई है। पति पंकज चौधरी ने रविवार को चोइथराम अस्पताल में बताया कि नेहा ने कुछ महीने पहले ही परिवार से कहा था कि मेरे मरने के बाद मेरा लीवर, फेफड़े, किडनी, त्वचा आदि जरूरतमंदों को दान कर देना चाहिए ताकि किसी और को नया जीवन मिल सके, . हम नेहा की इस इच्छा को पूरा कर रहे हैं।

एक किडनी सीएचएल अस्पताल और दूसरी बॉम्बे हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट की जा रही

रविवार दोपहर शहर में एक बार फिर 41वां ग्रीन कॉरिडोर बन गया, ब्रेन डेड होने के बाद इंदौर की नेहा चौधरी की किडनी, लीवर, आंख और त्वचा दोनों का प्रत्यारोपण इंदौर में ही किया जा रहा है, चोइथराम में ही लीवर ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, जबकि एक किडनी सीएचएल अस्पताल और दूसरी बॉम्बे हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट की जा रही है।

हृदय वाल्व की समस्या

नेहा चौधरी पार्श्वनाथ नगर की रहने वाली थीं, उनके हृदय के वाल्व में कुछ वर्षों से समस्या थी, 12 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ गई, उसके पति पंकज चौधरी उसे चोइथराम अस्पताल ले गए तो पता चला कि ब्रेन हेमरेज हुआ है, पहले चरण में डॉक्टरों की विशेष टीम ने शनिवार सुबह 9.55 बजे परीक्षण किया और फिर शाम 4.17 बजे दूसरी विशेष टीम ने परीक्षण कर ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

मन में भी यह प्रेरणा बनी

पति पंकज ने बताया कि नेहा एक गृहिणी थीं, लेकिन इंदौर में लगातार हो रहे अंगदान की जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिली और इस प्रेरणा को देखकर उनके मन में भी यह प्रेरणा बनी, जब भी उसकी तबीयत खराब होती थी तो वह घरवालों से कहती थी कि मरने के बाद मेरी किडनी, फेफड़े, लीवर, त्वचा आदि किसी भी जरूरतमंद को दान कर देना, इससे मेरी आत्मा को शांति मिलेगी, शनिवार को परिवार ने नेहा के जनकल्याण को ध्यान में रखते हुए अंगदान करने की इच्छा जताई, जिस पर तैयारी शुरू कर दी गई. नेहा का पति एक कंपनी में काम करता है जबकि उसकी तीन साल की बेटी है।

इंदौर की दो महिलाओं समेत चार को मिलेगा जीवनदान

नेहा के लीवर चोइथराम अस्पताल में ही भर्ती खातीवाला टंक निवासी 56 वर्षीय व्यक्ति का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। सीएचएल अस्पताल में भर्ती मानिकबाग के श्याम नगर निवासी 35 वर्षीय महिला का एक किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, जबकि दूसरा किडनी स्कीम 114, बॉम्बे अस्पताल निवासी महिला को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, चोइथराम अस्पताल में जरूरतमंदों को आंख व त्वचा दी गई है।

इससे पहले 16 सितंबर को डॉ. संगीता पाटिल की मौत के बाद उनकी दो किडनी चोइथराम और सीएचएल अस्पताल में भर्ती मरीज में ट्रांसप्लांट की गई थी, जबकि भोपाल के बंसल अस्पताल में भर्ती मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट किया गया था, इसके लिए ग्रीन डोर पर दो एंबुलेंस का इस्तेमाल किया गया।

7 और 9 मिनट में अस्पताल पहुंच जाएगी वही एंबुलेंस

इस बार दोनों किडनी के ऑर्गन बॉक्स एक ही एंबुलेंस भेजे गए, इसके तहत पहले की तरह किडनी को बीआरटीएस रोड से पहले सीएचएल अस्पताल पहुंचाया गया, फिर यह एंबुलेंस वहां से बॉम्बे हॉस्पिटल गई और दूसरी किडनी सौंप दी, एम्बुलेंस ने सीएचएल अस्पताल से 7 किलोमीटर की दूरी 7 मिनट में और बॉम्बे अस्पताल से 8 किलोमीटर की दूरी 9 मिनट में तय की, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने पूरी व्यवस्था की थी।

अंग प्रत्यारोपण में इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन एवं सचिव डॉ. संजय दीक्षित (डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर) ने आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा को मामले से अवगत कराया और अनुमति ली, प्रत्यारोपण के मामले में अस्पताल के डॉ. सुनील चांदीवाल, डॉ. रतन सहजपाल, डॉ. आनंद सांघी, अनिल लखवानी, रंजना चौहान आदि शामिल रहे।

वहीं जीतू बगानी, संदीपन आर्य, रेणु जयसिंघानी, राजेंद्र मखीजा, लोकेश बगानी, हरपाल सीतलानी, नरेंद्र मनवानी, लकी खत्री आदि ने समन्वय बनाए रखा है ताकि सही समय पर तीनों अंगों का प्रत्यारोपण किया जा सके।

आंख और त्वचा चोइथराम अस्पताल को दान

चोइथराम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सुनील चांदीवाल ने कहा कि नेहा की दोनों किडनी, लीवर, आंख और त्वचा दोनों दान कर दी गई हैं, आंख और त्वचा चोइथराम अस्पताल को दान कर दी गई है।

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