न्यूज – यू तो राजनीति में नेताओं की बोली कब फिसल जाए पता नहीं चलता, लेकिन राजनीति में कुछ विवादित ना हो तो फिर वो राजनीति भी नहीं लगती, देश में कांग्रेस और बीजेपी में वीर सावरकर को लेकर अलग-अलग राय है, बीजेपी जंहा वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्त बताती आयी है वही कांग्रेस वीर सावरकर को राष्ट्रविरोधी और अंग्रेजों की गुलामी करने वाला मानती है, ऐसे में अक्सर दोनों राजनीति पाटियों के बीच इस पर बहस होती रहती है, और इसी क्रम में एक बार फिर बीजेपी के कद्दावर नेता और मोदी सरकार में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वीर सावरकर को लेकर बयान दिया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वीर सावरकर को बिना जानें टिप्पणी करना उचित नहीं है, नितिन गडकरी ने कहा "सावरकर को अगर भूल जाएंगे तो जो 1947 में एक बार हुआ, मुझे लगता है कि आगे भविष्य के दिन भी अच्छे नहीं जाएंगे और मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं।" नितिन गडकरी सावरकर साहित्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
कांग्रेस-बीजेपी में अक्सर वीर सावरकर मुद्दा बन जाते है कभी बीजेपी तारीफों का पुल बांध देती है तो कभी कांग्रेस धडाम से वीर सावरकर को नीचे गिरा देती है, एक बार फिर ऐसा ही हुआ बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने वीर सावरकर के लिए कहा कि यदि सावरकर को भूल गये तो जो 1947 में हुआ वो एक बार फिर हो सकता है , मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि आगे भविष्य के दिन भी अच्छे नहीं जाएंगे और मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं" नितिन गडकरी सावरकर साहित्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। नितिन गडकरी ने इसके साथ ही ये भी कहा कि भारत को सेकुलरिज्म और लोकतंत्र पर पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है ये दोनों ही भारतीय संस्कृति में पहले से मौजूद हैं, गडकरी ने पाकिस्तान, सीरिया और तुर्की का उदाहरण देते हुए कहा जिन देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं वहां सेकुलरिज्म प्रभावित होता है, बीते 5 हजार साल का इतिहास उठाकर देख लें कभी किसी हिंदू राजा ने किसी मस्जिद को नहीं तोड़ा और न ही किसी का तलवार के दम पर धर्म परिवर्तन करवाया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पिछले पांच हजार साल के इतिहास में ऐसी कोई घटना नहीं घटी कि कि हिंदू राजा ने किसी मस्जिद को तोड़ा हो या किसी को तलवार चलाने के लिए मजबूर किया हो। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी हिंदू परंपरा-हमारी भारतीय परंपरा प्रगतिशील, समावेशी और सहिष्णु है।
सावरकर का उल्लेख करते हुए गडकरी ने कहा कि उन्होंने एक भाषण में जिक्र किया था कि जैसे ही देश में 51 प्रतिशत मुसलमान हो जाएंगे, देश में न तो लोकतंत्र और न ही समाजवाद है और न ही धर्मनिरपेक्षता बचेगा। यह तब तक है जब मुसलमान अल्पमत हैं। बहुसंख्यक मुस्लिम होने के बाद भी किस तरह से देश चलता है, उसके लिए पाकिस्तान, सीरिया को देखें। हम मुस्लिम या मुस्लिम परंपरा के विरोध में नहीं हैं। जो आतंकवादी कहते हैं कि हम अच्छे हैं, शेष सभी काफिर हैं, सभी को हटा दें, जो विकास के विरोध में हैं, हम उनके और उनकी प्रवृति के खिलाफ हैं।
सावरकर साहित्य सम्मेलन के दौरान गडकरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को सख्त निर्देश दिए थे कि किसी भी धर्म के पवित्र स्थान का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी धर्म की महिलाएं हों, उन्हें माता की तरह सम्मान देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हमारी परंपरा न तो संकीर्ण है, न जातिवादी है, और न हीं सांप्रदायिक है। यदि आप भविष्य में भारत को जीवित रखने की इच्छा रखते हैं, सावरकर को भूल जाएंगे तो जो 1947 में एक बार हुआ, मुझे लगता है कि आगे भविष्य में दिन अच्छे नहीं होंगे। मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं।
गडकरी ने कहा कि वीर सावरकर ने जिस राष्ट्रवादी अवधारणा दी थी, वह आज हमारे लिए आवश्यक है। हमने उस पर ध्यान नहीं दिया तो एक बार देश का बंटवारा होते देखा है। यदि फिर ऐसा होता है तो भारत सहित पूरी दुनिया में न समाजवाद रहेगा और न ही लोकतंत्र होगा और न ही धर्मनिरपेक्षता।
गडकरी ने कहा कि सेक्युलर का मतलब सेक्युलरिज्म नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है सभी का विश्वास। यह एक प्रकार की शुद्ध हिंदू परंपरा है। हमने सभी संस्कृतियों को सम्मान दिया है। हमारी विशेषता विविधता में एकता है। आज के परिदृश्य में हमें समावेशी, प्रगतिशील और सभी विश्वासों के साथ सही मायने में आगे बढ़ना है, हालांकि अल्पसंख्यक या किसी भी समूह को खुश करना सेक्युरिज्म नहीं होना चाहिए।