कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कई किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आज भारत बंद की घोषणा की है। भारत बंद का असर देश के कई हिस्सों में भी दिखाई दे रहा है। बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक रहेगा। देशव्यापी हड़ताल के दौरान आपातकाल के अलावा पूरे देश में सभी सरकारी और निजी कार्यालय, शैक्षणिक और अन्य संस्थान, दुकानें, उद्योग और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। इस बंद के चलते कई जगह जाम की स्थिति बनी हुई है। आपने देखा होगा कि यह पहली बार नहीं है जब हमारे देश में भारत बंद की घोषणा की गई है। ऐसा पहली बार कई बार हुआ है, जब भारत बंद की घोषणा की गई है। कभी इसका असर होता है तो कभी बंद के ऐलान तक ही सीमित। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कानून के आधार पर बंद का क्या मतलब है और आपके अधिकारों में बंद का क्या संबंध है?
यह बंद एक तरह का विरोध प्रदर्शन है, जो सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया जाता है। यह एक तरह से हड़ताल का एक रूप है और जिसका कई लोग विरोध करते हैं। वे दुनिया के दक्षिण एशियाई देशों में अधिक प्रभावशाली हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। इस बंद में कोई भी संगठन, राजनीतिक दल, समूह इसकी घोषणा करता है और देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इसका विरोध करते हैं। बंद में ना सिर्फ संगठन से जुड़े लोग विरोध करते हैं या शामिल होते हैं, बल्कि इसका असर आम जनता पर भी पड़ता है। इसमें लोगों को घर पर रहने को कहा जाता है और लोगों को कोई भी काम करने से रोका जाता है। जैसे कि दुकानों को बंद रखने के लिए कहा जाता है, लोगों को अपने काम पर जाने की अनुमति नहीं है और सार्वजनिक जीवन प्रभावित होता है। हड़ताल और बंद में बस यही अंतर है। हड़ताल में संगठन के लोग ही अलग-अलग विरोध करते हैं और आम जनजीवन कम प्रभावित होता है, लेकिन बंद में संगठन से जुड़े लोग दूसरे लोगों को भी प्रभावित करते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(C) में हड़ताल को मौलिक अधिकार माना गया है, जो देश के नागरिकों को अपनी बात रखने का विशेष अधिकार देता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में लिखना, बोलना और अपनी भावनाओं को व्यक्त करना शामिल है। इसके अलावा, इसमें बिना हिंसा के किए गए भाषण भी शामिल हैं, लेकिन हड़ताल को इससे बाहर रखा गया है। संविधान का अनुच्छेद 19 स्पष्ट रूप से किसी भी निवासी या नागरिक को हड़ताल, बंद या विरोध करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं देता है।
हालांकि इस पर चर्चा की जा रही है की धरना, प्रदर्शन आदि शांतिपूर्ण तरीके से किए जा सकते हैं। लेकिन, बंद की स्थिति पूरी तरह से अलग है। शांतिपूर्ण तरीके से की गई हड़ताल और बंद के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन बंद के लिए कहा जाता है कि यह दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। अगर यह दूसरे को परेशान करता है, तो इसका मतलब है कि यह गलत है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग फैसले भी दिए हैं और कई बार संगठनों पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है।