कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने जल्द ही कैबिनेट विस्तार का दावा किया है। बुधवार की देर रात जयपुर पहुंचे माकन से जब मीडिया ने पूछा कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा तो उन्होंने कहा- 'जल्द ही।' जब उनसे पूछा गया की कब ? क्या वह दिवाली के बाद तो वह मुस्कुराया दिए। सचिन पायलट खेमे की मांगों के सवाल पर माकन ने कहा कि कोई खेमा नहीं, सब एक हैं।
अजय माकन के जल्द कैबिनेट विस्तार के दावे के साथ ही कांग्रेस में एक बार फिर हलचल शुरू हो गई है। मंत्री बनने का दावा कर रहे कांग्रेस और निर्दलीय विधायक अपनी-अपनी सेटिंग में जुट गए हैं। इसके साथ ही कैबिनेट फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस विधायक और नेता लंबे समय से कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग उठा रहे हैं। माकन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता के निधन पर शोक व्यक्त करने पाली के निंबोल गए थे।
प्रदेश प्रभारी अजय माकन पूर्व में कई बार कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की समय सीमा बता चुके हैं। पिछले साल जनवरी तक कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की समय सीमा दी गई थी। बाद में माकन अपने ही बयान से मुकर गए और कहा कि इसकी कोई समय सीमा नहीं है। इसके बाद बजट सत्र के बाद कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चा होने लगी। वह समय भी बीत गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
सीएम गहलोत के दिल्ली दौरे के दौरान राहुल गांधी के घर प्रियंका की मौजूदगी में हुई बैठक में राजस्थान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। सीएम गहलोत ने खुद बयान दिया है कि कांग्रेस कमेटी की बैठक राहुल गांधी के घर पर हुई थी। उस कमेटी को सचिन पायलट की मांगों पर विचार करने के लिए कमेटी बताया जा रहा है, क्योंकि अहमद पटेल की मौत के बाद उस कमेटी में सिर्फ केसी वेणुगपाल और अजय माकन ही रह गए हैं। कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को बंटवारे के फॉर्मूले के अनुसार जगह दी जा सकती है।
सीएम गहलोत के दिल्ली दौरे के वक्त राहुल गांधी के घर प्रियंका की मौजूदगी में बैठक में राजस्थान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई थी। सीएम गहलोत खुद बयान दे चुके हैं कि राहुल गांधी के घर AICC की समिति की बैठक हुई थी। उस समिति को सचिन पायलट की मांगों पर विचार करने वाली समिति ही बताया जा रहा है, क्योंकि अहमद पटेल के निधन के बाद केसी वेणुगापेाल और अजय माकन ही उस समिति में रह गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को शेयरिंग फार्मूले के हिसाब से जगह दी जा सकती है।