India

DRDO को मिली बड़ी सफलता! ऐसा करने वाला भारत बना 5वां देश

savan meena

DRDO को मिली बड़ी सफलता! : डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) को एक और नई उपलब्धि हासिल हुई है.

डीआरडीओ ने उस अहम तकनीक को डेवलप कर लिया है

जिसके बाद देश में हेलीकॉप्‍टर निर्माण में आने वाली हर मुसीबत दूर हो सकेगी.

सोमवार को डीआरडीओ की तरफ से इस बात की पुष्टि की गई है

इस टेक्‍नोलॉजी वाला 5वां देश भारत

DRDO को मिली बड़ी सफलता : जो टेक्‍नोलॉजी डीआरडीओ ने डेवलप की है वो अभी कुछ ही देशों जैसे अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और रूस के पास ही है.

अब भारत भी इन देशों की श्रेणी में आ गया है जिसके बाद वह सिंगल क्रिस्‍टल कंपोनेंट्स पर काम कर सकता है.

डीआरडीओ की तरफ से पिछले कई वर्षों से इस तरह के प्रोजेक्‍ट पर काम चल रहा था.

पिछले कई वर्षों से डीआरडीओ एयरो इंजन के लिए जरूरी इस हिस्‍से के डेवलपमेंट पर काम कर रहा था।

HAL को सप्‍लाई किए ब्‍लेड्स

डीआरडीओ ने हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) को स्‍वदेशी हेलीकॉप्‍टर डेवलपमेंट प्रोग्राम के लिए सिंगल क्रिस्‍टल ब्‍लेड टेक्‍नोलॉजी की मदद से तैयार 60 ब्‍लेड्स सप्‍लाई किए हैं.

ये ब्‍लेड, हेलीकॉप्‍टर इंजन एप्‍लीकेशन के लिए एचएएल को डीआरडीओ की तरफ से दिए गए हैं.

डीआरडीओ की लैबोरट्री, डिफेंस मेटाल्‍यूरजिकल रिसर्च लैबोरेटी (डीएमआरएल) की तरफ से इस टेक्‍नोलॉजी को डेवलप किया गया है.

डीआरडीओ की तरफ से कहा गया है, 'यह डीएमआरएल की तरफ से जारी प्रोग्राम का ही हिस्‍सा है

जिसके तहत सिंगल क्रिस्‍टल हाई प्रेशर टर्बाइन (एचपीटी) ब्‍लेड्स को निकेल आधारित एलॉय का प्रयोग कर 5 सेट्स तैयार किए जाएंगे.' 5 सेट्स में 300 ब्‍लेड्स होंगे और डीआरडीओ चार और सेट्स को तय समय के अंदर तैयार कर लेगा.

DMRL ऐसी टेक्‍नोलॉजी का मास्‍टर

डीएमआरएल की तरफ से इस कार्यक्रम को चलाया गया है. डीएमआरएल ने पहले एयरो-इंजन प्रोजेक्‍ट के लिए इस तरह की टेक्‍नोलॉजी में महारत हासिल की थी. उसके आधार पर ही उसने इन ब्‍लेड्स को तैयार करने की जिम्‍मेदारी ली थी. ब्लेड को बनाने के लिए पूर्ण वैक्यूम निवेश कास्टिंग प्रक्रिया, जिसमें डाई डिजाइन, वैक्स पैटरिंग, सिरेमिक मोल्डिंग, पुर्जों की वास्तविक कास्टिंग गैर-विनाशकारी मूल्यांकन (एनडीई), ताप उपचार और आयामी माप शामिल है, को डीएमआरएल में स्थापित किया गया है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एचएएल और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के विकास में शामिल उद्योग को बधाई दी. डीआरडीओ के डायरेक्‍टर डॉक्‍टर जी सतीश रेड्डी ने भी इस उपलब्धि पर बधाई दी और इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास में शामिल लोगों के प्रयासों की सराहना की।

क्‍या है इस टेक्‍नोलॉजी की अहमियत

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक हेलीकॉप्‍टर्स को ताकतवर एयरो-इंजन की जरूरत होती है ताकि वह खराब मौसम में भी काम कर सके. इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए स्‍टेट-ऑफ-द-आर्ट सिंगल क्रिस्‍टल ब्‍लेड्स की सख्‍त जरूरत होती है. इन ब्‍लेड्स का आकार काफी जटिल होता है. इन्‍हें निकिल आधारित सुपर एलॉय पर डेवलप किया जाता है. इसकी वजह से हेलीकॉप्‍टर्स उच्‍च तापमान वाली जगह पर भी अपने ऑपरेशन को अंजाम देने में सफल हो सकते हैं।

Like and Follow us on :

Cannes 2024: Kiara Advani ने व्हाइट स्लिट गाउन में दिखाई सिजलिंग अदाएं

Cannes 2024: Urvashi Rautela ने कान फिल्म फेस्टिवल में बिखेरा जलवा

चांद पर ट्रेन चलाएगा NASA , तैयार हुआ पूरा खाका

DD News: ‘कलावा स्क्रीन पर नहीं दिखना चाहिए’, जानें UPA शासन में पत्रकारों को कैसे हड़काते थे दूरदर्शन के अफसर

AAP News: नवीन जयहिंद का दावा- "स्वाति मालीवाल की जान को खतरा... साजिश के तहत हुआ CM के घर हमला"