डेस्क न्यूज़- बढ़ते कोरोना मामलों के बीच मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर स्थगन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। केंद्र ने सेंट्रल विस्टा कंस्ट्रक्शन का बचाव किया। केंद्र ने कहा कि कर्मी कर्फ्यू से पहले ही इस काम में लग गए थे। सभी के पास स्वास्थ्य बीमा है और निर्माण स्थल पर कोविड की सुविधा भी है। केंद्र ने कहा कि अदालत में झूठे आधार पर याचिका दायर की गई है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को करेगा। इससे पहले ऐसा ही एक आवेदन सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था। SC ने फिलहाल मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
विपक्षी दल नए संसद भवन, सरकारी कार्यालय
और प्रधानमंत्री आवास के निर्माण का विरोध करते रहे
हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने भी परियोजना का
विरोध करते हुए कहा कि महामारी के दौरान इसे
रोका जाना चाहिए। कुछ लोगों का कहना है कि इस दौरान अस्पतालों की समस्या है। ऑक्सीजन, टीके और दवाओं की कमी है।
योजना के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में सरकारी भवन और कुछ आवास बनाए जाने हैं। इसके लिए राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का चार किलोमीटर का क्षेत्र चुना गया था। हाल ही में, राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को अनावश्यक बताया।
राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार भवन को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के अनुसार, नया तिकोना पार्लियामेंट हाउस पुराने सर्कुलर पार्लियामेंट हाउस के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे बनाया जाएगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। इस जमीन पर अब एक पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनाया जाएगा।
शास्त्री भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन और कई अन्य इमारतों को भी मंत्रालयों के साझा केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया जाएगा। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के हालिया प्रस्ताव के अनुसार, प्रधानमंत्री के नए आवासीय परिसर में 10 चार मंजिला इमारतें शामिल होंगी। प्रधानमंत्री का नया निवास 15 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा।