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अपने दावे पर अड़े बाबा रामदेव: कहा – डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों का इलाज किया, ये दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है, 90% मरीज योग और आयुर्वेद से ठीक हुए

देशद्रोह का मुकदमा दायर करने की आईएमए की मांग और मानहानि के दावे के बीच बाबा रामदेव ने पहली बार अपना बयान दिया हैं। बाबा ने दावा किया कि एलोपैथी में सिर्फ 10 फीसदी गंभीर मरीजों का ही इलाज होता है। शेष 90% योग-आयुर्वेद से ठीक हो गए।

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- कोरोना संक्रमण के इलाज और वैक्सीन की खामी के बीच देश के चिकित्सा जगत में सबसे बड़ा विवाद योग गुरु बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने छिड़ा है। देशद्रोह का मुकदमा दायर करने की आईएमए की मांग और मानहानि के दावे के बीच बाबा रामदेव ने पहली बार अपना बयान दिया हैं। बाबा ने दावा किया कि एलोपैथी में सिर्फ 10 फीसदी गंभीर मरीजों का ही इलाज होता है। शेष 90% योग-आयुर्वेद से ठीक हो गए। उन्होंने कोरोना की तैयारियों से लेकर कुंभ तक कई विषयों पर बेबाक जवाब दिए।

एलोपैथी के खिलाफ बैरिकेड्स क्यों?

इस अवधि में ही लोगों को योग-प्राकृतिक चिकित्सा

की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह बैरिकेड एलोपैथी

के खिलाफ नहीं है। मोर्चाबंदी इसलिए है कि

बीमारी के कारण का निवारण किया जाए। रोग

का कारण कमजोर फेफड़े, कमजोर लीवर-

हृदय, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कमजोर तंत्रिका तंत्र, कमजोर मनोबल है। दुर्भाग्य से एलोपैथी के

पास इसका कोई इलाज नहीं है। वह केवल बिना लक्षण वाला इलाज कर रहा है।

इलाज इन डॉक्टरों ने ही किया, ये दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है – रामदेब

इन डॉक्टरों ने किया इलाज किया है यह दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है। रोग के असली कारण का इलाज योग-प्राकृतिक चिकित्सा में ही किया जाता है। इन डॉक्टरों ने ही इलाज दिया है, तो हम क्या भंडारा खाने आ गए? मैं मानता हूं कि इन डॉक्टरों ने बहुत कुछ किया है। लेकिन, यह कहना कि इन डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, पूरी तरह से गलत और तथ्यहीन बात है। जिन लोगों का ऑक्सीजन लेवल 70 तक पहुंच गया था, उन्होंने भी योग और देसी नुस्खों से खुद को ठीक किया। इन डॉक्टरों ने गंभीर मरीजों का इलाज जरूर किया। डॉ. गुलेरिया का कहना है कि 90% लोगों को अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं थी, मेरा कहना है कि 95 से 98% लोगों को अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं थी। वह आयुर्वेद, योग और स्वस्थ जीवन शैली से उबर गए।

कोरोनिल को पर पुछने पर दिया ये जवाब

यह हमारी गलती नहीं है, यह सरकार की नीतियों की गलती है। आप इसे हम पर क्यों थोपते हैं? देश के किसी भी शहर में देखें तो कोरोना के 100 में से 90 मरीज योग, प्राणायाम से आयुर्वेदिक तरीकों और स्वस्थ जीवनशैली से खुद को ठीक कर चुके हैं। फिर हम कैसे कह सकते हैं कि एलोपैथी के डॉक्टरों ने ही लोगों की जान बचाई है। मेरा मानना है कि उन्होंने लोगों की जान भी बचाई है। उनकी बदौलत कई डॉक्टरों ने अपनी जान देकर अपनी जान बचाई है। ऐसे संकट में उन्हें जरूर मदद करनी चाहिए वरना मेडिकल साइंस का मतलब ही क्या है।

केवल 10% मरीजों की जान डॉक्टरों बजाई हैं 90% आयुर्वेद ने

मेरा मानना ​​है कि इन डॉक्टरों ने गंभीर होने के बाद अस्पताल जाने वाले 10% लोगों को बचाया, जबकि योग-आयुर्वेद और प्राकृतिक तरीकों ने 90% लोगों की जान बचाई। फिर डॉक्टर मेरी बात पर आपत्ति क्यों करते हैं। आपत्ति इसलिए है क्योंकि उनका बड़ा धंधा इससे जुड़ा है। लेकिन वे ताकत के बल पर सच्चाई को छिपा नहीं सकते। मैं एलोपैथी का विरोधी नहीं हूं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने आपातकालीन उपचार के रूप में और गंभीर सर्जरी के लिए बहुत काम किया है, लेकिन उनके पास जीवन शैली की बीमारियों का कोई इलाज नहीं है।

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