India

नागौर पलाड़ा सरपंच मामले में “सियासत” तेज

सरपंच का पक्ष नहीं सुनना गैर लोकतांत्रिक है,

Ranveer tanwar

डेस्क न्यूज़ – इन दिनों राजस्थान के नागौर जिले में एक ग्राम पंचायत का मामला काफी गर्म है। हम बात कर रहे हैं नागौर जिले के कुचामन पंचायत समिति के पलाड़ा गांव की। दरअसल, इस ग्राम पंचायत के सरपंच को नियमों का उल्लंघन करने के लिए पंचायती राज विभाग ने निलंबित कर दिया है। अब इस मामले ने जाति और राजनीतिक रूप ले लिया है। यह घटना 27 मार्च को हुई और सरपंच को 12 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया। यानी घटना के 16 दिन बाद सरपंच को निलंबित कर दिया गया था। अब सरपंच पक्ष का आरोप है कि सरपंच का पक्ष सुने बिना सरपंच को निलंबित कर दिया गया।

अब इस मामले में नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी एक बयान जारी किया है कि सरपंच का पक्ष नहीं सुनना गैर लोकतांत्रिक है, लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि सरपंच का पक्ष सुने बिना सरपंच को निलंबित कर दिया गया? नहीं ऐसी बात नहीं है। नागौर जिला परिषद ने 1 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें सरपंच को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया, लेकिन 7 दिनों के बाद भी सरपंच ने कोई जवाब नहीं दिया। सरपंच को 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक का समय दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी जब सरपंच ने कोई जवाब नहीं दिया, तो सरपंच को 12 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया। हम इस पत्र को आपके साथ भी साझा कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

गौरतलब है कि हाल ही में हुए सरपंच चुनाव में पलाड़ा में लीना कंवर सरपंच जीती थीं। वर्तमान में, राजस्थान में कोरोना महामारी का प्रकोप है, जिसके कारण राज्य सरकार ने गांवों में कर्मियों के रूप में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी है। इसी प्रकार पलाड़ा गाँव में भी शिक्षक कार्यरत थे। 27 मार्च को सरपंच पति विजय सिंह ने सरपंच की कुर्सी पर बैठे एक सरकारी शिक्षक को धमकाया और उन्हें पंचायत भवन से बाहर निकाल दिया। यह सरकारी शिक्षक एससी एसटी का है। शिक्षक ने कुचामन पुलिस स्टेशन में एक रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी और मामला नागौर जिला कलेक्टर के ध्यान में लाया गया था। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें सरपंच पति शिक्षक को निष्कासित करते हुए नजर आ रहा है। नागौर जिला परिषद ने सरपंच को भी तलब किया, लेकिन जवाब नहीं देने पर सरपंच को निलंबित कर दिया गया।

क्या है सरपंच का नियम:

वास्तव में, पंचायत राज अधिनियम के तहत, केवल सरपंच ही सरपंच की कुर्सी पर बैठ सकता है। सरपंच का कोई रिश्तेदार, परिवार के सदस्य सरपंच का पद नहीं ले सकते और न ही पंचायत की किसी बैठक में शामिल हो सकते हैं। हां, वह एक ग्रामीण के रूप में बैठक में भाग ले सकते हैं, लेकिन वह सरपंच की ओर से इसमें शामिल नहीं हो सकते। इस नियम के तहत पलाड़ा सरपंच को निलंबित कर दिया गया था।

वही :

पूर्व विधायक हरीश कुमावत ने पत्र में कहा कि पलाड़ा सरपंच को दलगत राजनीति के कारण निलंबित किया गया है, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरपंच का चुनाव पक्षपातपूर्ण नहीं है, लेकिन पलाड़ा सरपंच लीना कंवर का निलंबन राजनीतिक द्वेष के कारण किया गया है। उन्होंने पत्र में बताया कि इस ग्राम पंचायत के मतदाताओं द्वारा लीना कंवर को 15 मार्च को ग्राम पंचायत पलाड़ा के सरपंच के रूप में चुना गया था और सरपंच ने 21 मार्च को पद ग्रहण किया था। वर्तमान में, सभी कार्यालयों और निर्वाचित निकायों का कार्य स्थगित कर दिया गया है। कोविद 19 संक्रमण के लिए। केवल पंचायत क्षेत्र के कोरोना संक्रमण और असहाय लोगों की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायत के गणमान्य व्यक्तियों और भामाशाह और स्वयंसेवी संगठनों की मदद से। पलाड़ा के ग्रामीणों ने सहायता समिति के अध्यक्ष, पलाड़ा सरपंच के पति विजय समाज के नेतृत्व में एक सहायता समिति गठित करने का कार्य किया। उन्होंने बताया कि राजनीति के कारण, नव निर्वाचित सरपंच को क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा राज्य सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया है, जो निंदनीय है। उन्होंने निलंबन को जल्द निरस्त करने का आह्वान किया।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार