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भारत को कनाडा से वापस मिली 108 साल पुरानी विरासत, सीएम योगी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में की मां अन्नपूर्णा देवी की प्राण प्रतिष्ठा

भारत को 108 साल बाद विदेश से अपनी विरासत वापस मिली है। बता दें की देश को कनाडा से मां अन्नपूर्णा देवी की ऐतिहासिक मूर्ति वापस मिली है।

Ishika Jain

भारत को 108 साल बाद विदेश से अपनी विरासत वापस मिली है। बता दें की देश को कनाडा से मां अन्नपूर्णा देवी की ऐतिहासिक मूर्ति वापस मिली है। मां अन्नपूर्णा की इस दुर्लभ प्रतिमा की आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूजा अर्चना की। इस पूजा में सीएम योगी के साथ राज्य के शहरी विकास मंत्री आशुतोष टंडन भी मौजूद थे। सीएम योगी ने अपने ट्विटर पर ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी।

18 जिलों से होते हुए वाराणसी पहुंची मूर्ति

108 साल बाद भारत लाई गई माँ अन्नपूर्णा की दुर्लभ मूर्ति का देश में भव्य स्वागत किया गया। देश के 18 जिलों से होते हुए यह मूर्ति आज सुबह वाराणसी पहुंची। जानकारी के अनुसार, मां अन्नपूर्णा ने ज्ञानवापी द्वार से बाबा विश्वनाथ की चांदी की पालकी में चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया और वहां राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की पूजा में शामिल है। पूजा के बाद श्रद्धालु प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगे। मां अन्नपूर्णा के स्वागत के लिए काशी विश्वनाथ धाम के प्रवेश द्वार से लेकर बाबा के प्रांगण तक को फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया।

Image Credit: TV9 Bharatvarsh

बाबा विश्वनाथ के प्रांगण में विराजेगी मां अन्नपूर्णा

हिंदू धर्म में अन्न और धन की देवी मां अन्नपूर्णा 108 साल बाद एक बार फिर बाबा विश्वनाथ के प्रांगण में विराजमान होंगी और काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की मंगला आरती के बाद ही मां अन्नपूर्णा के अभिषेक की रस्में शुरू हो गई थी। वहीं, इस पूजा में राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ और शहरी विकास मंत्री आशुतोष टंडन शामिल हुए।

मां की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पुरातन टीम की देखरेख में जारी

जानकारी के अनुसार मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा काशी विश्वविद्यालय की पुरातन टीम विवि परिषद की देखरेख में चल रही है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. वीसी तिवारी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ की रंगभरी एकादशी और चांदी की पालकी मां अन्नपूर्णा के लिए भेजी गई और माता का आगमन ज्ञानवापी के प्रवेश द्वार से मंदिर तक किया गया।

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