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10 Big Lies of BBC Documentary: RSS, गोदरा कांड, धर्म संसद... कई झूठ बेनकाब

2002 के गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर देश में बवाल जारी है। इस Documentary के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री की छवी को खराव करने की कोशिश की जा रही है। आइए जानते है BBC Documentary के 10 बड़े झूठ क्या है?

Kunal Bhatnagar

2002 के गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर देश में बवाल जारी है। केंद्र सरकार ने 21 जनवरी को विवादित डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर रोक लगा दी थी। सरकार के इस फैसले के विरोध में छात्र संगठनों ने देशभर के कई शिक्षण संस्थानों में डॉक्यूमेंट्री दिखाने की कोशिश की, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया। इस Documentary के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री की छवी को खराव करने की कोशिश की जा रही है। आइए जानते है BBC Documentary के 10 बड़े झूठ क्या है

1. डॉक्यूमेंट्री वर्ष 2021 में हरिद्वार में हुए धर्म संसद के भाषणों से आरंभ होती है। ऐसा जताया गया है मानो इन्हीं के कारण गुजरात में दंगे हुए थे।

हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद का आयोजन किया गया था।

2. गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन जलाने की घटना को संदिग्ध बताया। कहा कि यह निश्चित नहीं था कि आग किसने लगाई। हिंदू बहुसंख्यकों ने इसका दोष मुसलमानों पर डाल दिया।

गोधरा कांड: घटनाक्रम 27 फ़रवरी 2002 की है, गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में मुस्लिमों द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों हिन्दुओ की मौत हो गई।

3. गुजरात दंगों में बड़ी संख्या में हिंदू भी मारे गए और घायल हुए, लेकिन उन पर इसमें कोई बात नहीं की गई है।

गुजरात दंगों में बड़ी संख्या में हिंदू भी मारे गए।

4. गुजरात के सभी हिंदुओं को दंगाई, अतिवादी और मुस्लिमों को पीड़ित के रूप में चित्रित किया गया है।

5. अरुंधती रॉय, आकार पटेल, हरतोष बल जैसे लोगों के वक्तव्यों को आधार बनाया गया है, जिनकी विश्वसनीयता स्वयं संदिग्ध है।

6. गुजरात के दंगे जिन पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ चुका है, उस पर केंद्र सरकार कोई उत्तर देने को बाध्य नहीं है।

7. डॉक्यूमेंट्री में किए गए दावों पर दूसरा पक्ष जानने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। भाजपा नेता और स्वप्नदास गुप्ता से पूछे गए प्रश्न उन आरोपों के संदर्भ में नहीं हैं।

8. गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT की जांच और न्यायिक निर्णयों का संदर्भ बड़ी चालाकी से गायब कर दिया गया है।

9. कुछ नए प्रत्यक्षदर्शियों को पैदा किया गया है। वे भी सुनी-सुनाई बात दोहरा रहे हैं। पुराने प्रत्यक्षदर्शियों के बयान कोर्ट में झूठ सिद्ध हो चुके हैं।

10. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नकारात्मक रूप से दिखाया। नरेंद्र मोदी के संघ का स्वयंसेवक होने की बात इस तरह बताई मानो यह कोई अपराध हो।

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