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अफगानिस्तान में तालिबान ने IPL के प्रसारण पर लगाई रोक, IPL को बताया इस्लाम विरोधी

Ishika Jain

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 14वें सीजन का दूसरा चरण यूएई में शुरू हो चूका है। दोबारा शुरू हुई लीग में अब तक दो मैच खेले जा चुके हैं। दुनिया भर की लोकप्रिय टी – 20 लीग में शुमार आईपीएल जोरों पर है और इसमें कई स्टार खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि तालिबान शासित अफगानिस्तान ने स्टेडियमों में 'महिला दर्शकों' की मौजूदगी को लेकर देश में बेहद लोकप्रिय इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। तालिबान ने पिछले महीने जब से अफगानिस्तान पर कब्जा किया है तब से अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय खेलों में भाग लेने वाली महिलाओं पर कट्टरपंथी समूह के रुख को लेकर चिंतित है।

महिलाओं की मौजूदगी पर प्रतिबंध की क्या है वजह ?

रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने देश में आईपीएल के प्रसारण पर रोक लगा दी है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व मीडिया मैनेजर एम इब्राहिम मोमंद ने ट्वीट कर इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तालिबान के मुताबिक आईपीएल में इस्लाम विरोधी बातें दिखाई जाती हैं, महिलाएं बिना बाल ढके स्टेडियम में जाती हैं और यहां लड़कियां (चीयरलीडर्स) डांस करती हैं और इसी वजह से इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया गया है।

आपको बता दें कि अफगानिस्तान पर काबिज़ होने के बाद तालिबान वहां महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ काम कर रहा है। तालिबान ने खेलों में महिलाओं की भागीदारी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं, सत्ता संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान में अब मनोरंजन के अधिकतर साधनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

IPL में अफगानी क्रिकेटरों की है धूम

गौरतलब है कि आईपीएल में अफगानी क्रिकेटरों की धूम है। इसमें फिलहाल तीन खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। अफगानिस्तान के स्टार राशिद खान, मोहम्मद नबी और मुजीब उर रहमान आईपीएल 2021 में हिस्सा ले रहे हैं। आईपीएल का दूसरा चरण रविवार को चेन्नई सुपर किंग्स और गत चैंपियन मुंबई इंडियंस के बीच संयुक्त अरब अमीरात में मैच के साथ फिर से शुरू हुआ। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के नए खेल प्रमुख ने पिछले हफ्ते कहा था कि तालिबान 400 खेलों की अनुमति देगा, लेकिन उसने महिलाओं की भागीदारी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उसने कहा की, "कृपया महिलाओं के बारे में और सवाल न पूछें।" 1996 से 2001 तक चरमपंथी समूह के शासन के दौरान महिलाओं को कोई भी खेल खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

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