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ISIS का अल-हसाका जेल पर आतंकी हमला: आतंकियों और कुर्द फोर्सेस के बीच 4 दिन के संघर्ष में 136 ​की मौत

50 से ज्यादा देशों के अपराधियों को शहर की अलग-अलग जेलों में रखा गया है। इनमें इस्लामिक स्टेट के 12 हजार से ज्यादा आतंकी शामिल हैं। आतंकियों के हमले से पहले ही जेल के अंदर दंगे शुरू हो गए थे। जिसमें कुछ कैदी मारे गए।

ChandraVeer Singh

सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के उग्रवादियों और कुर्द सुरक्षा बलों के बीच बीते चार दिन से जारी युद्ध में रविवार तक 136 लोगों की मौत हो चुकी है। बता दें कि इस्लामिक स्टेट समूह के 100 से अधिक आतंकवादियों ने गुरुवार को सीरिया की सबसे बड़ी जेल पर हमला किया था, जहां संदिग्ध आतंकवादियों को रखा जा रहा है। इस बीच, आईएस के बंदूकधारियों ने बीते शुक्रवार तड़के उत्तरी बगदाद के एक पहाड़ी इलाके में सेना के बैरक पर हमला किया, जिसमें 11 सैनिकों की मौत हो गई थी। हमले के वक्त जवान सो रहे थे।

अपने साथियों को छुड़ाने के लिए जेल पर किया अटैक

इधर आतंकियों और कुर्द सेना के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। जानकारी के अनुसार अपने साथियों को छुड़ाने के लिए आईएसआईएस के 100 से अधिक आतंकवादियों ने सीरिया के अल-हसाका शहर में घवेरन जेल पर हमला किया। जिसके बाद कुर्द बलों ने उन पर जवाबी हमला शुरू कर दिया।

जेलों में इस्लामिक स्टेट के 12 हजार से ज्यादा आतंकी बंद
कुर्द अधिकारियों के अनुसार 50 से ज्यादा देशों के अपराधियों को शहर की अलग-अलग जेलों में रखा गया है। इनमें इस्लामिक स्टेट के 12 हजार से ज्यादा आतंकी शामिल हैं। आतंकियों के हमले से पहले ही जेल के अंदर दंगे शुरू हो गए थे। जिसमें कुछ कैदी मारे गए।

इस्लामिक स्टेट संगठन की स्लीपर सेल भी हुई सक्रिय

ब्रिटेन की सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की मानें तो ISIS लड़ाकों ने जेल पर हमला किया, अपने कई साथियों को छुड़ाया और ढेर सारे हथियार लूटे। जानकारों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट एक बार फिर सीरिया में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हाल के महीनों में इससे जुड़ी कई 'स्लीपर सेल' भी सक्रिय हो गई हैं।

हिंसा के दौरान कैदी जेल से भागने की फिराक में थे
जेल पर हमले का मकसद वहां कैद आईएस लड़ाकों को मुक्त कराना था। जेल को नियंत्रित करने वाले कुर्द बलों ने कहा कि जेल के बाहर एक कार बम विस्फोट और बंदूकधारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प के बाद कैदियों ने जेल से भागने की कोशिश की। कुर्द नीत सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज के स्पोक्सपर्सन फरहाद सामी ने कहा कि लड़ाकों का नेतृत्व विदेशी आतंकवादी कर रहे थे। कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज ने कहा कि जेल से भागे 89 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है। कैदियों के एक अन्य समूह ने शुक्रवार को जेल से भागने का एक और प्रयास किया।

यूनिसेफ ने 850 नाबालिगों की सुरक्षा की मांग की

जान गंवाने वालों में 7 नागरिक भी शामिल हैं। यूनिसेफ ने रविवार को हिरासत में लिए गए 850 नाबालिगों की सुरक्षा की मांग की है। कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज ने रविवार को कहा- जेल के आसपास के इलाके को सील कर दिया गया है। आतंकी अब ज्यादा दिन टिक नहीं पाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस लड़ाई में अब तक 84 ISIS आतंकी और 45 कुर्द लड़ाके मारे जा चुके हैं।

ISIS ने 2011 के करीब सीरिया में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले किए थे। जिसमें इसने हजारों लोगों को निर्दयी तरीके से मार डाला, लेकिन 3 साल पहले अमेरिकी सेना के हमले के बाद इस इलाके से उनके पैर उखड़ गए थे, लेकिन आतंकी अब एक बार फिर से इलाके में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।
2011 में शुरू हुई बगावत
जंग की आग 2011 में लगी। ये बगावत आखिर कैसे बगावत हुई उससे पहले आपको बता दें कि साल 2000 में अपने पिता हाफेज अल-असद की जगह सत्ता पर बशर अल-असद काबिज हुए। वहीं 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ बगावत शुरू हुई। अरब के कई देशों में सत्ता के विरोध में बगावत से प्रेरित होकर मार्च 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ।

2012 में गृहयुद्ध चरम पर पहुंचा

असहमत बशर अल असद ने विरोधियों को निस्तेनाबूद करना शुरू किया। जिसके बाद 2012 में गृहयुद्ध चरम पर पहुंच गया, विरोधियों ने हथियार उठा लिए। विद्रोही समूह ने कुछ हिस्सों में समान सरकार बना ली। असद ने इसे 'विदेश समर्थित आतंकवाद' करार दिया।

विद्रोहियों और असद सरकार के बीच की जंग और आगे निकल गई। इसके बाद सीरिया की लड़ाई में क्षेत्रीय और दुनिया की अन्य बड़ी ताकतों ने प्रवेश किया। इसमें ईरान, रूस, सऊदी अरब और अमरीकी का सीधा दखल सामने आया। सीरिया दुनिया का एक छद्म युद्ध रण बन गया।

शिया बनाम सुन्नी दरार

बशर अल-असद एक शिया है। और शियाओं की तादाद अल्पसंख्यक हैं। सुन्नी मुस्लिम समुदाय लगभग 70 प्रतिशत और 13 प्रतिशत शिया हैं, जबकि 10 प्रतिशत ईसाई और 3 प्रतिशत दुरूज धर्म के अनुयायी हैं। सीरिया में भी सांप्रदायिकता देखी गई और विदेशों पर आरोप लगाए गए। शिया बनाम सुन्नी की स्थिति भी उत्पन्न हुई। शिया बनाम सुन्नी के बीच दरार ने अत्याचारों को और बढ़ा दिया और नतीजा ये रहा कि हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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