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Kangal Pakistan: बिना कर्ज दिए लौटा IMF, पाक की एक और उम्मीद टूटी; अब आगे क्या?

Om Prakash Napit

Kangal Pakistan: आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्तान की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है। 3 फरवरी को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के खजाने में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 2.91 बिलियन डॉलर रह गया है। इतने पैसे से पाकिस्तान डेढ़ हफ्ते के लिए ही विदेश से सामान खरीद सकता है। इस बीच पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज मिलने की आखिरी उम्मीद भी अब टूट गई है। लगातार 10 दिन तक चली मीटिंग के बाद IMF की टीम बिना कर्ज दिए वापस लौट गई है।

IMF ने एक बार फिर से पाकिस्तान को MEFP नाम का मेमोरेंडम देने से इनकार कर दिया है। ये वो मेमोरेंडम है जिसके हाथ लगते ही पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिल जाएगा। IMF चाहता है कि पहले पाकिस्तान सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए उसकी शर्तों को माने। इसके लिए IMF ने पाकिस्तान सरकार के सामने तीन तरह की शर्तें रखी हैं।

IMF के साथ यूं चली वार्ता बैठकें

31 जनवरी 2023 को नाथन पोर्टर के नेतृत्व में IMF की एक टीम पाकिस्तान पहुंचती है। पाकिस्तान सरकार के वित्त मंत्री इशाक डार के साथ इस टीम की दो चरणों में बैठक होती है। पहले चरण की बैठक 31 जनवरी से 3 फरवरी तक, जबकि दूसरे चरण की बैठक 3 फरवरी से 9 फरवरी तक चलती है।

इस बैठक में पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के तहत IMF से कर्ज की मांग कर रहा था। दरअसल, 2019 में इमरान खान की सरकार के रहते IMF ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद देने का वादा किया था। अब इसी वादे के तहत पाकिस्तान IMF से 1.1 बिलियन डॉलर की एक और किश्त मांग रहा है। हालांकि, इसके लिए 10 दिनों तक चली इस बैठक बेनतीजा रही। शुक्रवार को IMF की टीम पाकिस्तान से वापस लौट गई।

IMF के अधिकारी नाथन पोर्टर ने कहा कि आने वाले समय में भी पाकिस्तान के साथ इस मुद्दे पर वर्चुअल चर्चा जारी रहेगी। फिलहाल, किसी एग्रीमेंट पर साइन नहीं किया गया है। वहीं, पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि रूटीन प्रोसेस की वजह से पाकिस्तान को कर्ज मिलने में देरी हुई है।

पाकिस्तान के लिए IMF की 3 नई शर्तें

  1. IMF का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी। ऐसे में पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपए वसूलने की सलाह दी गई है।

  2. दूसरी शर्त ये है कि पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए सामानों के निर्यात पर टैक्स में छूट दे। इसके बाद देश में तैयार माल दूसरे देशों में जाएगा, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

  3. एक शर्त ये भी है कि पाकिस्तान के पास किसी भी हाल में विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सऊदी अरब, चीन और UAE से मदद मांगने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

पाक के लिए अब आगे का रास्ता क्या है?

IMF ने कहा है कि नई शर्तें मानते ही पाकिस्तान को कर्ज मिल जाएगा। यही वजह है कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा है कि ‘IMF की शर्तों को जल्द से जल्द माना जाएगा। पाकिस्तान को मदद की जरूरत है। शाहबाज शरीफ ने भी IMF अधिकारियों को शर्तों को पूरा करने का आश्वासन दिया है।’

ऐसे में साफ है कि IMF की शर्तों को मानकर शाहबाज सरकार पेट्रोल, डीजल और बिजली पर टैक्स बढ़ा सकती है। इन पर दी जा रही छूट को समाप्त करने और पेट्रोलियम पर 17% GST लगाने की सलाह दी गई है।

भले ही टैक्स बढ़ाए जाने के बाद पाकिस्तान को कर्ज मिल जाए लेकिन इसके बाद देश में महंगाई और बढ़ जाएगी। कमजोर अर्थव्यवस्था की वजह से पहले से महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान की जनता को और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

एक लीटर दूध की कीमत 150 से ज्यादा

पाकिस्तान में इस वक्त पिछले 48 सालों में खुदरा सामानों की महंगाई दर सबसे ज्यादा है। यहां 20 किलो के एक आटा बैग इस वक्त करीब 1736 रुपए में मिल रहा है। वहीं एक किलो प्याज की कीमत 231 रुपए है। एक लीटर दूध 150 रुपए में जबकि 1 दर्जन अंडे की कीमत करीब 285 रुपए है।

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