डेस्क न्यूज. बात उस समय की है जब विश्व की दो बड़ी ताकतों के बीच युध्द चल रहा था, लेकिन ये शीत युद्ध था। दो महाशक्तियों के बीच इस युध्द में लगातार एक दुसरे की टांग खिंचाई चल रही थी आखिर कैसे एक को दूसरे से बेहतर साबित किया जा सकें, सभी इसी जद्दो-जेहद में थे इन देश के बीच वाक युध्द था लेकिन घर में सास बहु की लड़ाई से बिल्कुल अलग...
कभी घर से बहार निकलकर भीड़-भाड़, शोर से दूर जाने का मन तो करता होगा, लेकिन रुकिए.. आखिर जाएगें कहां आप ये भी बताईए.. क्योकि धरती पर तो विकास के नाम पर हमने हर तरफ कुड़ा-कचरा फैला दिया है... तो क्या अब आप बोलेगें की अंतरिक्ष में चले जाएगें... तो रुकिए आपको वहां भी शांति नही मिलने वाली... अरे भाई विकास के नाम पर हमने अंतरिक्ष को भी कहां छोड़ा है... वहां भी कचरा फैला दिया.. अब आप कहेगें कि भैया वहां पर कैसे कुड़ा फैला दिया। वहां पर तो हम घुमने भी नहीं जाते है... तो फिर किसने वहां पर कचरा फैला दिया? तो आइए आपको इसके बारे में भी बताते है..
1982 में जब सोवियत संघ ने एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ के बीच कॉसमॉस-1408 नाम का एक जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित किया, तो अंतरिक्ष में जाने के लगभग दो साल बाद यह बेकार हो गया। अब चूंकि यह अनुपयोगी हो चुका था, इसलिए यह अपनी कक्षा में निरंतर गतिमान था।
प्रतिकात्मक फोटो
आखिर नवंबर 2021 में रूस को इसकी याद आई, फिर क्या था रूस ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल लॉन्च करके इसको नष्ट कर दिया, जिससे अंतरिक्ष में लगभग 1,500 टुकड़े फैल गए हैं। जब ऐसा हुआ है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है, इससे पहले अमेरिका इस तरह की घटना 2008 में और चीन 2007 में कर चुका है। अब रूस के इस कदम की तीखी आलोचना हो रही है, अगर सैटेलाइट के टुकड़े किसी यान से टकरा भी जाएं तो अंतरिक्ष में किसी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है।
जॉनथन मैकडावल हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में एक खगोल भौतिकीविद् हैं। एक मीडिया से बात करते हुए उनका कहना है कि लोग अंतरिक्ष को सुनसान जगह मानते हैं, लेकिन क्या वाकई अंतरिक्ष अब वीरान हो गया है? ऐसा नहीं। अप्रैल 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार, 7,300 से अधिक उपग्रह पृथ्वी से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में हमारे सिर के ऊपर उच्च गति से परिक्रमा कर रहे हैं।
जॉनथन मैकडावल हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में एक खगोल भौतिकीविद् हैं। एक मीडिया से बात करते हुए उनका कहना है कि लोग अंतरिक्ष को सुनसान जगह मानते हैं, लेकिन क्या वाकई अंतरिक्ष अब वीरान हो गया है? ऐसा नहीं। अप्रैल 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार, 7,300 से अधिक उपग्रह पृथ्वी से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में हमारे सिर के ऊपर उच्च गति से परिक्रमा कर रहे हैं। यानि घंटों ट्रैफिक में फंसी गाड़ी की तरह अंतरिक्ष में भी यही स्थिति हो रही है।
उपग्रहों का उपयोग आम तौर पर संचार के लिए किया जाता है, जैसे टेलीविजन प्रसारण, इंटरनेट, मौसम की भविष्यवाणी और नेविगेशन के लिए, जब आप Google मानचित्र पर एक नया स्थान खोजते हैं, तो यह उपग्रह की मदद से भी संभव है। इससे पृथ्वी की स्थिति को देखना आसान है
यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर हमारी जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं उपग्रहों पर निर्भर करता है। पहले अधिकांश उपग्रह सरकारें लॉन्च करती थीं, जैसे शीत युद्ध के दौरान अधिकांश उपग्रह या तो अमेरिकी सरकार या सोवियत सरकार ने किए थे...
आपके मन में यह भी सवाल होगा कि अगर इतनी बड़ी संख्या में उपग्रह अंतरिक्ष में घूम रहे हैं तो वे आपस में क्यों नहीं टकराते। क्या उनके लिए भी कोई नियम और कानून हैं?
इस पर जानकारों का कहना है कि अंतरिक्ष कोई सड़क नहीं है जहां नियम के मुताबिक कारें एक ही दिशा में एक ही गति से जा रही हों, यहां कोई यहां जा रहा है और कोई वहां जा रहा है. आपको यह स्वीकार करना होगा कि अंतरिक्ष एक बड़ी जगह है और आप किसी से नहीं टकराएंगे। लेकिन यह आज एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।"
अंतरिक्ष अब भीड़भाड़ वाली जगह बनती जा रही है और टकराव की स्थिति से बचने के प्रयास भी बढ़ रहे हैं। अधिकांश कचरे की निगरानी की जाती है, लेकिन जब रूस ने 2021 में अपने उपग्रह को नष्ट कर दिया, तो इससे उत्पन्न कचरे को ट्रैक नहीं किया गया था और कचरे का कुछ हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा के करीब था।
"हर 93 मिनट में मिशन नियंत्रण अंतरिक्ष स्टेशन को एक रेडियो संदेश भेज रहा था कि आप फिर से कूड़ेदान से गुजरने वाले हैं, सुरक्षित रहने का प्रयास करें। मूल बात यह है कि आप कूड़े का सही स्थान नहीं जानते हैं।" इसलिए इससे बचना बहुत मुश्किल है।"
अगर किसी देश के किसी एक सैटेलाइट के नष्ट होने से इतना बड़ा खतरा पैदा हो सकता है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर जान-बूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो तबाही कितनी बड़ी होगी।
अब हजारों उपग्रह अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे हैं और ऐसे में संभव है कि गड़बड़ी जानबूझकर नहीं की गई हो लेकिन यह एक दुर्घटना हो सकती है। लेकिन ऐसे में कोई देश कैसे तय करेगा कि नुकसान जानबूझकर किया गया है और इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
ईरान या उत्तर कोरिया जैसी केंद्रीय शक्तियों के पास कई उपग्रह नहीं हैं, लेकिन वे लेज़रों से अंतरिक्ष को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे जीपीएस सिग्नल की आवृत्ति बाधित हो जाती है। और इसलिए इसमें केवल बड़ी शक्तियां शामिल नहीं हैं। अंतरिक्ष को प्रभावित करने की क्षमता, दूसरे देशों को झुकने की कोशिश करना या अंतरिक्ष का उपयोग कैसे करना है, यह सब अब केवल कुछ हाथों तक ही सीमित नहीं है और लोकतांत्रिक होता जा रहा है।
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