दक्षिण कोरिया के डेगू शहर के दाहेयोंग-डोंग में रहने वाले स्थानीय लोग और अप्रवासी एक मुस्लिम मस्जिद निर्माण के चलते आमने-सामने आ गए हैं। नाटकों और पॉप संस्कृति के लिए मशहूर दक्षिण कोरिया में मुस्लिम प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस तरह दक्षिण कोरिया की बदलती डेमोग्राफी स्थानीय लोगों को घर छोड़कर जाने को मजबूर कर रही है।
दक्षिण कोरिया के क्यूंगपुक नेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र दाहेओंग-डोंग शहर के एक घर में 2014 से नमाज अदा कर रहे थे। साल 2020 में 6 मुस्लिमों के एक ग्रुप ने इस जमीन को खरीद लिया और उसके बाद सारी तस्वीर बदलने लगी। उसी साल दिसंबर में, इस संगठन ने 20 मीटर लंबी मस्जिद बनानी शुरू कर दी।
साल 2020 मस्जिद निर्माण शुरू होने के बाद से स्थानीय जिला प्रशासन के यहाँ के लोगों ने लगातार शिकायतें भेजनी शुरू कर दीं। इसके बाद लोगों के दबाव में आकर मस्जिद बनाने की अनुमति रद्द कर दी थी।
इसके बाद मस्जिद का निर्माण रुक गया लेकिन स्थानीय कोरियाई लोगों की यह खुशी थोड़े दिनों की ही थी क्योंकि इसके बाद मुस्लिमों ने जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी की जिससें सितंबर में कोरियाई सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए मस्जिद निर्माण की अनुमति दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद भी स्थानीय लोगों ने हार नहीं मानी और जिला प्रशासन से मस्जिद को स्थानांतरित करने की अपील करने लगे लेकिन उनकी यह अपील भी किसी काम नही आई। हालातों से मजबूर कोरियाई लोग अब दाहेओंग-डोंग में मस्जिद के निर्माण को किसी न किसी तरह रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
कोरियाई लोग अब मस्जिद के गेट पर वाहनों को खड़ा कर रहे हैं और गली में सूअरों के कटे हुए सिर रख रहे हैं यहाँ तक कि खुले में सूअर का माँस भी पका रहे हैं। यही नहीं, नमाज के समय तेज आवाज में गाने भी बजा कर विरोध कर रहे हैं।
यही नहीं स्थानीय लोगों ने मोहल्ले में पोस्टर लगाकर भी मस्जिद निर्माण का विरोध कर रहे हैं। इन पोस्टरों में ‘इस्लाम एक दुष्ट मजहब है जो लोगों को मारता है’ और ‘आतंकवादियों का अड्डा’ जैसे वाक्य लिखे हुए हैं। इतने विरोध के बावजूद भी मस्जिद का निर्माण 60% तक पूरा हो चुका है। इसके 2022 के अंत तक शुरू होने की भी उम्मीद है।