तीन दिन की यात्रा पर सऊदी अरब पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश लौट गए हैं। उनके दौरे पर विपक्ष सहित पाकिस्तान की जनता भी सवाल उठा रही है। सऊदी सरकार ने पाकिस्तान को चावल की 19,032 बोरियां दान की हैं। पाकिस्तान का विपक्ष इसे अपने देश की बेइज्जती बता रहा है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि इमरान जितनी कीमत के चावल सऊदी अरब से लेकर आए हैं, इससे ज्यादा पैसे तो उन्होंने अपनी यात्रा पर खर्च कर दिए।
इमरान इस यात्रा पर अपने साथ एक दर्जन मंत्रियों और दोस्तों को भी साथ
ले गए थे। हालांकि, इमरान सरकार इस यात्रा को अपनी बड़ी उपलब्धि बता
रही है। भुट्टो ने सऊदी अरब के दान देने के समय पर भी सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि सऊदी ने पाकिस्तान को ये मदद जकात या फितरा
समझकर दी है। उन्होंने कहा कि इमरान खान ने राजनीति के क्षेत्र में
22 साल इस दिन को देखने के लिए ही मेहनत की थी।
उन्हें न्यूक्लियर आर्म्ड कंट्री के लिए इस तरह की मदद लेने से पहले सोचना चाहिए था।
विपक्ष के हमले के बाद इमरान सरकार के मंत्री और अधिकारी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। उनके विशेष सलाहकार ताहिर अशरफी ने कहा कि पाकिस्तान गरीबों लिए सऊदी से ऐसी मदद पहले भी ले चुका है। उन्होंने कहा कि इस दौरे पर चावल की बोरियां दान करने का फैसला सऊदी ने एक महीने पहले ही कर लिया था। इमरान ने अपने तीन दिन के दौरे में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से भी मुलाकात की। दोनों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने को लेकर चर्चा हुई।
इमरान रविवार को सऊदी के दौरे से लौटे थे। इसके बाद सऊदी अरब ने कहा है कि वो उन पाकिस्तानियों को किसी भी तरह का वीजा जारी नहीं करेगा, जिन्होंने चीन में बनी वैक्सीन लगवाई है। इसकी वजह यह है कि सऊदी रेगुलेटर ने चीन की साइनोवैक और साइनोफार्म वैक्सीन को अप्रूवल नहीं दिया है। हालांकि, चीन ने वैक्सीन डिप्लोमैसी के तहत यह वैक्सीन सऊदी भेजी थीं।
सऊदी अरब सरकार ने अब तक चार वैक्सीन्स को ही अप्रूवल दिया है। ये हैं- फाइजर, एस्ट्राजेनिका, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन। इनमें से जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सिंगल शॉट है। यानी इसका एक ही डोज लगता है। बाकी तीनों के डबल डोज लगाए जाते हैं।
चीन ने भले ही अपनी दोनों वैक्सीनों के डोज सऊदी अरब भेजे हों, लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं किया गया है। सिर्फ सऊदी अरब ही नहीं, चीन ने और भी खाड़ी देशों को अपनी वैक्सीन भेजी थीं, लेकिन अब तक इन देशों के रेगुलेटर्स ने इन्हें मंजूरी नहीं दी है।