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पंजशीर फतह: पाकिस्तानी वायु सेना के ड्रोन हमले से घबराकर अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान भागे

Manish meena

पंजशीर में पाकिस्तान के प्रवेश के तुरंत बाद, पंजशीर ने भी हार मान ली। इसके साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। रविवार को पाकिस्तानी पायलटों ने तालिबान की मदद के लिए रेजिस्टेंस फोर्सेज के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमले किए।

पंजशीर अब तालिबान के नियंत्रण में है

पंजशीर में रेजिस्टेंस फोर्सेज के प्रमुख नेता और देश के

पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस घर पर भी हमला किया गया।

इसके बाद सालेह ताजिकिस्तान भाग गये। अहमद मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित पनाहगाह में है,

लेकिन पंजशीर अब तालिबान के नियंत्रण में है।

पाकिस्तान के सीएच-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक वाहन पर दो मिसाइल दागे।

रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाके मारे गए।

दश्ती पेशे से पत्रकार थे और 15 अगस्त तक काबुल डेली के संपादक भी थे।

रविवार के हमलों में अहमद मसूद के करीबी सहयोगी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद भी मारे गए।

पाकिस्तान की ISI ने बनाया तालिबान

अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में पाकिस्तान हर कदम पर तालिबान का साथ देता रहा है। दरअसल, तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बनाया था। बाद में भी, आईएसआई तालिबान को धन, प्रशिक्षण और हथियार प्रदान करता रहा। ISI के हक्कानी नेटवर्क के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं, जो तालिबान के लिए काम करता है।
तालिबान लड़ाकों और उनके परिवारों को पाकिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में, खासकर क्वेटा शहर में आश्रय प्रदान किया। पेशावर और कराची के अस्पतालों में घायल तालिबानी लड़ाकों का इलाज भी किया गया। हक्कानी को पाकिस्तान में अचल संपत्ति, तस्करी और अन्य व्यवसाय चलाने का अवसर दिया ताकि उनकी युद्ध मशीन चलती रहे।

अमेरिकी सेना की वापसी तय हुई तो तालिबान नेताओं को आईएसआई ने किया एकजुट

अगर पूरी दुनिया में तालिबान का कोई करीबी दोस्त है तो वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के अलावा, 1996-2001 के तालिबानी शासन को पाकिस्तान ने मान्यता दी थी। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के बाद सैनिकों की वापसी का कार्यक्रम तय किया गया था। तालिबान नेताओं ने तब आईएसआई की मदद से खुद को फिर से संगठित किया।

आईएसआई भी चाहता है अफगानिस्तान की सरकार में अधिकार

अफगानिस्तान में जो नई तालिबान सरकार बनने जा रही है उसमें आईएसआई से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के लोग भी शामिल होंगे। इसमें प्रमुख नाम मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी का है। वह अपने पिता द्वारा स्थापित हक्कानी नेटवर्क चलाता है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच सत्ता की लड़ाई जारी है। दो दिन पहले यह खबर आई थी कि तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला बरादर दो समूहों के बीच गोलीबारी में घायल हो गए थे। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

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