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Uyghurs In China: चीन में मुसलमानों के साथ दुष्कर्म, नसबंदी और अमानवीय कृत्य, क्यों चुप हैं धर्म के रखवाले ?

Ravesh Gupta

चाइना में एक अल्पसंख्यक समुदाय यानि कि उइगर मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं, सयुंक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में उइगर मुस्लिम्स की कंडीशन चिंताजनक हैं और मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन भी बताया जा रहा है।

किसी के बारे में ऐसी खबर सुनने पर दुख होता है लेकिन उससे भी ज्यादा दुख और आश्चर्य है कि भारत की लिबरल गैंग जो इसी समुदाय के हकों के लिए सड़कों पर आ जाती है, अवार्ड वापस कर देती है उसने एक शब्द नहीं बोला है।

रविश कुमार और राना अय्यूब जैसे प्रोमिंनेट पत्रकार, ओवैसी और राशिद खान जैसे इस समुदाय के पक्षधर इस मामले पर चुप्पी साधे हुई हैं।

अंदर तक झकझोर देगी ये रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र यानि की यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लगभग 40 लाख उइगर मुसलमानों को कैदियों की तरह रखा हुआ है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के साथ चीन में क्या कुछ किया जा रहा है ये आप इन फोटोज में देख सकते हैं।

जबरन नसबंदी, दुष्कर्म और जाने क्या क्या..

कई कई दिन भूखा रखना, जबरन नसबंदी, महिलाओं का दुष्कर्म और न जाने क्या क्या घिनोने कृत्य चीन उईगर मुसलमानों के साथ कर रहा है ये सब यूएन की 45 पेज की रिपोर्ट में सामने आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार 10 लाख उइगर मुस्लिमों को चीन ने शिनजियांग प्रांत में कथित तौर पर री-एजुकेशन कैंप में कैद कर रखा हुआ है जहां पर ट्रेनिंग देने के नाम इन इंसानों के साथ हैवानियत की जाती है।

वैश्विक स्तर पर चुप क्यों है लिबरल गैंग ?

लेकिन अब सवाल है भारत की लिबरल गैंग, रविश जी, राना अय्यूब जी, शबाना आजमी जी, ओवैसी साब, राशिद खान और तमाम उन छुटभैये धर्म के रखवालों से जिन्होने नुपुर शर्मा की एक टिप्पणी पर पूरे भारत को जला दिया था। पूरे भारत में प्रदर्शन किए थे। क्या तुमको ये सब दिखाई नहीं दे रहा या तुम ये देखना नहीं चाहते क्योंकि चीन में तुम कुछ नहीं कर सकते।

सवाल खाड़ी देशों से भी है, सारे खाड़ी देश नुपुर शर्मा की खिलाफत में भारत के खिलाफ आ गए थे। लेकिन अब क्या हुआ, अब चीन के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं हो रही जो उनके ही भाईयों पर इस तरह अत्याचार कर रहा है। क्यों अब इस सबके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जा रही है ?

क्यों ओवैसी अब सामने आकर इन मुसलमानों की जान के लिए वैश्विक स्तर पर स्टैंड नहीं ले रहे।

अब कुछ लोग कहेंगे कि आर्टिकल टॉपिक से भटक रहा है उइगर मुसलमानों से राजा सिंह और नुपुर शर्मा पर पहुंच गया तो आपको बता दें वहां जाना जरूरी है, क्योंकि मुसलमानों के आराध्य के ऊपर सवाल उठाने पर पूरे देश का मुसलमान लामबंद हो गया, उदयपुर और अमरावती में गले काट दिए, देश भर में 40 शहरों में दंगे हो गए। राशिद खान खुलेआम टीवी पर राजा का घर जलाने की धमकी देने लगा और उईगर मुसलमानों के इस केस में सब चुप हैं। क्या इन सबके हिसाब से ये जो हो रहा है वो जायज है, बात सिर्फ धर्म विशेष की ही नहीं रह जाती है क्योंकि इनके साथ जो अमानवीयता हो रही है उसको जानकर आप भी दंग रह जाएगें

चीन पर दशकों से लग रहे अमानवीय कृत्यों के आरोप

यूएन की रिपोर्ट में यह तक बताया गया है कि रिपोर्ट बनाने के दौरान उन्होने चीन जाकर लोगों के इंटरव्यू किए थे और इस दौरान इंटरव्यू देने वालों ने शिजियांग में होने वाली चीनी अमानवियता की कहानियां सुनाईं।

कुछ ने बताया कि उन्हें कुर्सी से बांधकर डंडो से पीटा जाता था। पूछताछ के दौरान चेहरे पर पानी डाला जाता था। न तो उन्हें कुछ खाने को दिया जाता और न ही सोने दिया जाता था। यहां तक कि उन पर अपनी मातृभाषा में बोलने, नमाज पढ़ने तक की रोक थी।

उनसे जबरन देशभक्ति वाले गाना गाने को कहा जाता था। लगातार उन लोगों की निगरानी होती थी।

इसके अलावा इंटरव्यू देने वाले कुछ लोगों ने अपने साथ यौन उत्पीड़न होने की भी बात बताई। किसी को जबरन नग्न किया गया तो किसी के साथ दुष्कर्म हुआ।

किसी के साथ यौन हिंसा हुई तो किसी को जबरन इंजेक्शन और दवाइयां खिलाई गईं। जिन लोगों को इंजेक्शन लगाया जाता था या दवाई खिलाई जाती थी उन्हें यह तक नहीं बताया जाता था कि उन्हें किस चीज की दवा दी जा रही है।

ये पहली बार नहीं है जब किसी रिपोर्ट में इस तरह के आरोप चीन पर लगे हैं। कई रिपोर्ट्स का दावा है कि ऐसा कई दशकों से होता आ रहा है।

उइगर मुसलमानों को बाहर क्यों नहीं निकाल देता चीन

ये जो कुछ मैने पिछले कुछ मिनटों में आपको बताया है शायद आपकी भी रूह कांप गई होगी। आप भी सोच रहे होंगे कि चीन इतनी अमानवीयता क्यों कर रहा है। और अगर इन लोगों से इतनी ही नफरत है तो इन लोगों को देश से क्यों नहीं निकाल दिया जाता, तो इसका जवाब है चीन में उइगर मुसलमानों की संख्या बहुत बड़ी है। ये लोग काफी कम पैसों में मजदूरी करते हैं और चीन को सस्ते मजदूर मिलते हैं। ऐसे में चीन इन्हें कहीं भगाना नहीं चाहता है।

एकजुट होकर इस हैवानियत को रोका जाए
अब जरूरत है कि चीन के पड़ोसी देश यानि भारत के प्रोमिंनेंट पत्रकार, राजनेता, ओवैसी ही नहीं बल्कि और भी बड़े नेता जिनकी वैश्विक स्तर पर पहचान है और बड़ी बड़ी हस्तियां इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ आए और चीन की इस हैवानियत को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र में आवाज उठाए। चाहें तो आप भी इस काम में सहयोग कर सकते हैं बस आपको इस आर्टिकल को शेयर करना होगा और लोगों तक इस मैसेज को पहुंचाना होगा।

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