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मज़हबी त्याहारों पर क्यों डरने लगा है भारत ?

ऐसा क्या कारण है कि एक धर्म विशेष के त्यौहार आते ही देश में जगह जगह हाई अलर्ट करना पड़ता है ? जबकि ऐसा कभी दिवाली,होली या किसी हिन्दू त्योहार पर नहीं होता |

Ravesh Gupta

क्या भारत अब एक ऐसा देश बनने की तरफ बढ़ता जा रहा है जहां जब भी एक मज़हब के त्यौहार या शुक्रवार आता है तो आम आदमी सहम जाता है ? डर जाता है ?ये सवाल इन दिनों भारत में तब उठता है जब बकरीद पर उत्तरप्रदेश में हाई अलर्ट घोषित होता है | जी हाँ, उत्तर प्रदेश जहां के CM बहुत सख्त माने जाते हैं वहां पर भी आने वाली बकरीद पर हाई अलर्ट घोषित किया गया है ।

क्यों बार – बार पड़ती है हाई अलर्ट की जरूरत ?

तो सवाल ये उठता है की ऐसा क्या कारण है कि एक धर्म विशेष के त्यौहार आते ही देश में जगह जगह हाई अलर्ट करना पड़ता है ? जबकि ऐसा कभी दिवाली,होली या किसी हिन्दू त्योहार पर नहीं होता | तो दूसरा सवाल ये उठता है कि जब दुनिया रात दिन शांति की बात करती है तब ऐसा क्या है की भारत में आये दिन हाई अलर्ट करने पड़ते हैं |इसका जवाब छुपा है भारत में पिछले 5 महीने में हुई घटनाओं में ।

पिछले 5 महीने में हिन्दुओं की रैलियों पर हुए 17 हमले
जी हां, पिछले अप्रेल की 2 तारीख को राजस्थान की करौली में हिन्दू शोभायात्रा पर जानलेवा हमला हुआ | उसके बाद ये सिलसिला यहीं नहीं रुका और देश में हिन्दू समाज की 17 से ज़्यादा रैलियों पर जानलेवा हमला हुआ | इसके कुछ दिनों बाद ही नूपुर शर्मा के बयान का बहाना बनाकर देश के 40 से ज़्यादा शहरों में आग लगा दी गई | जिसमें हिन्दू समाज पीड़ित हुआ |

इस सोच ने काट दिए कई गले

अभी मामला यही नहीं रुका । इस आक्रमणकारी सोच को आगे बढ़ाते हुए उदयपुर में कन्हैयालाल और अमरावती में उमेश और मध्यप्रदेश में एक युवक का गला काट दिया गया | हालांकि इससे कुछ साल पहले कमलेश टीआई का भी घर में घुस कर गला कटा था और लगातार हिंदू के साथ ये हो रहा है |तो इस तरह एक धर्म विशेष द्वारा भारत में बहुसंख्यक समाज पर जानलेवा हमलों से भारत एक तरह से प्रोटेक्टिव मोड़ में आ गया है |उसे डर रहता है की कहीं कोई घटना ना घट जाए ।

क्यों भारत के हालातों का सच नहीं दिखाता कोई मानवाधिकार संगठन ?

पूरी दुनिया में जब कहीं भी ऐसे हालात बनते हैं तो दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन और पत्रकार दौड़े चले आते हैं | लेकिन भारत में जब माहौल लगातार तालिबान जैसा बनाया जा रहा है तब दुनिया की किसी संस्था और किसी एक्टिविस्ट को चिंता क्यों नहीं होती कि भारत को इन चीज़ों को उठाकर दुनिया के सामने रखा जाए ।

जबकि यही संगठन सीरिया से लेकर यमन लेबनान यहाँ तक कि कश्मीर पर भी चिंता जाहिर करते हैं। सवाल बहुत ही सरल परन्तु गहरा है की आखिर क्यों एक मज़हब के त्योहार आने पर ही देश में लोग डर जाते हैं ? आप सोचिये और अपने विचार प्रकट कीजिये |

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