क्या भारत अब एक ऐसा देश बनने की तरफ बढ़ता जा रहा है जहां जब भी एक मज़हब के त्यौहार या शुक्रवार आता है तो आम आदमी सहम जाता है ? डर जाता है ?ये सवाल इन दिनों भारत में तब उठता है जब बकरीद पर उत्तरप्रदेश में हाई अलर्ट घोषित होता है | जी हाँ, उत्तर प्रदेश जहां के CM बहुत सख्त माने जाते हैं वहां पर भी आने वाली बकरीद पर हाई अलर्ट घोषित किया गया है ।
तो सवाल ये उठता है की ऐसा क्या कारण है कि एक धर्म विशेष के त्यौहार आते ही देश में जगह जगह हाई अलर्ट करना पड़ता है ? जबकि ऐसा कभी दिवाली,होली या किसी हिन्दू त्योहार पर नहीं होता | तो दूसरा सवाल ये उठता है कि जब दुनिया रात दिन शांति की बात करती है तब ऐसा क्या है की भारत में आये दिन हाई अलर्ट करने पड़ते हैं |इसका जवाब छुपा है भारत में पिछले 5 महीने में हुई घटनाओं में ।
अभी मामला यही नहीं रुका । इस आक्रमणकारी सोच को आगे बढ़ाते हुए उदयपुर में कन्हैयालाल और अमरावती में उमेश और मध्यप्रदेश में एक युवक का गला काट दिया गया | हालांकि इससे कुछ साल पहले कमलेश टीआई का भी घर में घुस कर गला कटा था और लगातार हिंदू के साथ ये हो रहा है |तो इस तरह एक धर्म विशेष द्वारा भारत में बहुसंख्यक समाज पर जानलेवा हमलों से भारत एक तरह से प्रोटेक्टिव मोड़ में आ गया है |उसे डर रहता है की कहीं कोई घटना ना घट जाए ।
पूरी दुनिया में जब कहीं भी ऐसे हालात बनते हैं तो दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन और पत्रकार दौड़े चले आते हैं | लेकिन भारत में जब माहौल लगातार तालिबान जैसा बनाया जा रहा है तब दुनिया की किसी संस्था और किसी एक्टिविस्ट को चिंता क्यों नहीं होती कि भारत को इन चीज़ों को उठाकर दुनिया के सामने रखा जाए ।
जबकि यही संगठन सीरिया से लेकर यमन लेबनान यहाँ तक कि कश्मीर पर भी चिंता जाहिर करते हैं। सवाल बहुत ही सरल परन्तु गहरा है की आखिर क्यों एक मज़हब के त्योहार आने पर ही देश में लोग डर जाते हैं ? आप सोचिये और अपने विचार प्रकट कीजिये |