डेस्क न्यूज़- गुरुवार को फ्रांस की राजधानी पेरिस से पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर आई है। यहां तीन दिनों तक चली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है कि पाकिस्तान को अप्रैल 2022 तक ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा। जून 2018 में पहली बार पाकिस्तान को इस सूची में शामिल किया गया था। तब से वह कई बार सूची से बाहर आने की कोशिश कर चुका है और हर बार विफल रहता है।
पाकिस्तान को इस सूची में आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में विफल रहने के कारण रखा गया था। FATF ने पाकिस्तान को 27 सूत्री कार्ययोजना दी थी। अक्टूबर 2019 तक पाकिस्तान को इस पर कार्रवाई करनी पड़ी। बाद में इस योजना में 6 और अंक जोड़े गए। पाकिस्तान हमेशा 4 अंक पर विफल रहता है। जिन बिंदुओं पर पाकिस्तान कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है, उनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों के नेताओं के खिलाफ जांच और कार्रवाई शामिल है।
इसमें लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का नाम प्रमुखता से शामिल है। हाफिज सईद वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है, फिर मसूद अजहर 2016 में पठानकोट और फिर 2019 में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है।
पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किसी राजनीतिक आधार पर नहीं बल्कि तकनीकी आधार पर लिया गया है। अब पाकिस्तान की असली परीक्षा तब होगी जब बड़े आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्तान ने जिन 34 में से 30 बिंदुओं पर कार्रवाई की थी, वे छोटे थे। ऐसे में अब पाकिस्तान के लिए मुश्किल में फंस गया हैं। जून 2021 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया था। उस समय पाकिस्तान ने कहा था कि वह 3 से 4 महीने के भीतर सभी बिंदुओं पर अमल करेगा।
हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की आतंकवाद पर एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट को 'Terrorist and Other Militant Groups in Pakistan' शीर्षक से जारी किया गया है। इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि कम से कम 12 ऐसे आतंकी संगठन हैं जिनकी पहचान अमेरिका ने विदेशी संगठनों के तौर पर की है और ये सभी पाकिस्तान में मौजूद हैं। इनमें से 5 ऐसे हैं जिनका मकसद भारत को निशाना बनाना है। अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक पाकिस्तान हमेशा से आतंकी संगठनों का पनाहगाह रहा है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने से देश की मुश्किलें कई गुना बढ़ जाएंगी। पाकिस्तान पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद पाने में मुश्किलों का सामना कर रहा है। अब उनका ग्रे लिस्ट में रहना आग में घी डालने जैसा होगा। पाकिस्तान के लिए राहत की बात यह है कि तुर्की, मलेशिया और चीन की वजह से वह ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है।