न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने डिजिटल कोर्ट के संचालन के बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत छत्तीसगढ़ में जिला न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की व्यवस्था जल्द ही शुरू की जाएगी। तकनीकी टीमों के गठन और इसके लिए आवश्यक सुविधाओं को विकसित करने के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं। जिला अदालत में मैन्युअल सुनवाई जारी रखने की परंपरा जारी रहेगी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई शुरू होते ही केंद्रीय जेल प्रबंधन को अधिकतम राहत मिलेगी। विचाराधीन कैदियों के अलावा, ऐसे कैदी जिनकी अपीलीय सुनवाई जारी है। उत्पादन के दौरान, अदालत को जेल से लाने और अदालत से जेल ले जाने की व्यवस्था करनी पड़ती है। यह सब बंद हो जाएगा। जेल से वीसी के माध्यम से कैदी कोर्ट में अपनी गवाही देंगे।
गौरतलब है कि देशभर में कोरोना वायरस की कमर तोड़ने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों पर सुनवाई कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बेहद जरूरी मामलों की सुनवाई करना जारी रखेगा। इसी के परिपालन में अब जिला न्यायालयों में भी व्यवस्था लागू की जा रही है।
अदालत ने सोमवार को देश भर की सभी अदालतों के लिए दिशानिर्देश पारित किए। जिसमें न्यायिक कार्यवाही के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करने के लिए कहा गया है। अदालत का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए वकीलों और वादियों की भीड़ को निलंबित कर दिया जाना चाहिए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि प्रौद्योगिकी हर जगह है। उन्होंने कहा कि कोविद -19 के प्रकोप ने सामाजिक दूरी बनाए रखना आवश्यक बना दिया है और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अदालत परिसर कोरोना वायरस के प्रसार का स्थान न बने।
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया जिसमें अदालतों में सुनवाई करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का सुझाव दिए गए थे।