न्यूज – कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये सक्षम अदालत जायें। कोर्ट साथ ही अर्नब को अगले तीन सप्ताह दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट पीट कर हत्या के मामले से संबंधित कार्यक्रम को लेकर रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज प्राथिमकी की जांच सीबीआई को सोंपने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पालघर मामले से संबंधित 21 अप्रैल के उनके कार्यक्रम के सिलसिले में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज शुरुआती प्राथमिकी भी निरस्त करने से भी इंकार किया है।
वे कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी बरस पड़ेः "मैं आपको बताता हूं, वह अब तक इटली रिपोर्ट भेज चुकी होंगी… उन्होंने रिपोर्ट भेजी होगी कि एक राज्य जहां उनकी पार्टी सत्ता में है, वहां दो साधुओं को मार डाला गया है…।" यह अपने आप में शोध का विषय है कि अर्नब का ऐसा कहना 'विचार' है, 'समाचार' है या फिर 'खोजी पत्रकारिता'? और अभिव्यक्ति की आजादी क्या उन्हें इस तरह के बयान देने की इजाजत देती है और क्या सरकार और सुप्रीम कोर्ट दूसरे एंकरों को भी ऐसी ही सलूहियत देंगे?
बहरहाल, सोनिया गांधी के खिलाफ इस तरह के आपत्तिजनक बयान पर तमाम कांग्रेस नेता भड़क उठे और अर्नब की गिरफ्तारी की मांग उठने लगी। कई लोगों ने एफआईआर दर्ज कराई जिसमें से एक थी महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत द्वारा नागपुर में दर्ज कराई गई एफआईआर। सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए केस को वर्ली के एनएम जोशी पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर दिया।