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योगी आदित्यनाथ की फर्जी खबर चलाने पर ‘The Wire’ पर एफआईआर

savan meena

न्यूज – सोशल मीडिया के जमाने में फेक न्यूज का वर्चस्व बहुत ज्यादा हो गया है ऐसे में फेक न्यूज़ की पुष्टि करना भी मीडिया का ही काम है ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार फेक न्यूज़ के नाम पर मीडिया पर FIR करती रहेगी, मीडिया को दबाती रहेगी, देश के नेताओं को खबरें अपने अनुसार सही नहीं लगेगी तो वो हर न्यूज को फेक न्यूज बताते रहेंगे मीडिया की स्वतंत्रता को तार-तार करती रहेगी।

अब इसी कम में फर्जी समाचार प्रसारित करने के नाम पर ऑनलाइन पोर्टल 'द वायर' के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ऑनलाइन न्यूज पोर्टल द वायर के खिलाफ आरोप है कि योगी आदित्यनाथ व रामनवमी के बारे में उसने फर्जी खबर फैलाई है।

फेक न्यूज जैसे इस अपराध के लिए द वायर के संस्थापक-संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। केस IPC की धारा 188 व 505(2) के तहत फैजाबाद स्थित कोतवाली नगर थाने में दर्ज कराया गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने बताया कि राज्य सरकार की चेतावनी के बावजूद, वरदराजन ने न तो गलत लेख को हटाया और न ही इसके लिए माफी मांगी। इसलिए, FIR दर्ज की गई है और पहले की तरह कार्रवाई की गई है। "अगर आप भी योगी सरकार के बारे में सोच रहे हैं तो कृपया अपने दिमाग से ऐसी सोच को हटा दें।"

दरअसल द वायर नें खबर लिखी थी कि " जिस दिन तब्लीगी जमात का आयोजन हुआ था, उस दिन यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाएगा। जबकि राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य परमहंस ने कहा कि 'कोरोना वायरस से भगवान राम भक्तों की रक्षा करेंगे।

24 मार्च को पीएम मोदी द्वारा "कर्फ्यू जैसे" राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा करने के एक दिन बाद, आदित्यनाथ ने दर्जनों लोगों के साथ अयोध्या में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए आधिकारिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया।" हालाकि द वायर ने बाद में इसे स्पष्ट करते हुए न्यूज के नीचे एक नोट डाला और सफाई दी।

नोट में कहा गया कि कोरोना वायरस पर राम को लेकर दिया गया बयान योगी आदित्यनाथ के नाम से गलत प्रचार किया गया जबकि वास्तव में आधिकारिक बयान राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य परमहंस द्वारा कहा गया था।

इस एफआईआर पर द वायर के एडिटर्स का साझा बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि यह एफआईआर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की स्वतंत्रता पर धमाकेदार हमला है, जून 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कि गई सख्त टिप्पणी के बावजूद यूपी सरकार ने कुछ नहीं सिखा है, उस वक्त एक ट्वीट के लिए अवैध रुप से गिरफ्तार किये गये एक पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने के आदेश दिये थे

जब अदालत ने एक पत्रकार को रिहा करने का आदेश दिया था जिसे राज्य ने एक ट्वीट के लिए अवैध रूप से गिरफ्तार किया था।  उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्वतंत्रता का अधिकार एक मौलिक अधिकार और नॉन नैगोशिएबल है। इस एफआईआर का उद्देश्य वैध अभिव्यक्ति और तथ्यात्मक जानकारी को रोकना है। द वायर ने कहा हमने जो भी कहा वो एक रिकॉर्ड का विषय है।

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