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राफेल केस :केंद्र ने SC में दिया हलफनामा, कहा- 2018 का फैसला सही, रद्द हो रिव्यू पीटिशन

SI News

सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा प्रस्तुत करते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि राफेल डील की प्रगति पर पीएमओ की निगरानी को समानांतर वार्ता (पैरेलल नेगोटिएशन्स ) नहीं कहा जा सकता है. शीर्ष अदालत को सौंपे गए हलफनामे में सरकार ने कहा, "इस सरकारी प्रक्रिया से पीएमओ द्वारा प्रगति की निगरानी को हस्तक्षेप या समानांतर वार्ता के रूप में नहीं देखा जा सकता है."

हलफनामे में कहा गया है "जैसा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री ने फाइल पर दर्ज किया था "ऐसा प्रतीत होता है कि पीएमओ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति का कार्यालय उन मुद्दों की प्रगति की निगरानी कर रहा है जो शिखर बैठक का एक में शामिल थे. केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 14 दिसंबर 2018 को राफेल विमान पर दिए फैसले सही ठहराया है. राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए 14 दिसम्बर के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की गई थी.
सरकार की इस प्रक्रिया की पीएमओ द्वारा प्रगति की निगरानी को हस्तक्षेप या समानांतर वार्ता के रूप में नहीं माना जा सकता है, "
सरकार ने कहा । द हिंदू द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों की एक श्रृंखला से पता चला था कि पीएमओ "समानांतर वार्ता" आयोजित कर रहा था। एक रक्षा मंत्रालय के नोट में कहा गया था कि "समानांतर पार्सल" ने MoD [रक्षा मंत्रालय] और भारतीय वार्ता टीम को कमजोर कर दिया   था। । "

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