साभार- हिंदुस्तान 
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Love Jihad: हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी शिवराज सरकार

Love Jihad Kanoon: हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 को असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही ऐसे मामले में कोई भी कार्यवाही पर रोक लगा रखी है। मध्यप्रदेश सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख करने जा रही है।

Lokendra Singh Sainger

मध्यप्रदेश सरकार जबलपुर हाईकोर्ट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख कर रही है, जिसमें अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार है।

हाईकोर्ट का कहना था कि अगर दो व्यस्क नागरिक अपनी मर्जी से अलग जाति या धर्म में शादी कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। जबलपुर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए धारा 10 को असंवैधानिक करार दिया है। इस अधिनियम के तहत दूसरे धर्म में शादी करने वाले को जिला मजिस्ट्रेट यानि कलेक्टर को शादी के 60 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य किया गया था और ऐसा ना करने पर 2 साल तक कैद की सज़ा का प्रावधान किया गया था। कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया था। लेकिन अब मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट का रूख कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने 20 नवंबर को बताया कि मध्यप्रदेश सरकार हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को शादी के 60 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य है और ऐसा नहीं करने पर 2 साल तक जेल का प्रावधान है। जबकि हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।

आगे एडवोकेट ने कहा कि मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम प्रलोभन, धमकी और बलपूर्वक विवाह अथवा अन्य तरीकोंं से धर्मांंतरण पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने जा रहे है।

मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम को दी थी चुनौती

मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 10 के खिलाफ जबलपुर उच्च न्यायालय में 6 याचिकाएं दायर कर इस कानून की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिकाओं में कहा गया था कि इस कानून की धारा 10 में दिए गए संविधान में निहित 'धर्म की स्वतंत्रता' के अधिकार के खिलाफ है।

धारा10, जो जिलाधिकारी को मनमाना अधिकार देता है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि अगर कोई बालिग अपनी मर्जी से किसी दूसरी जाति या धर्म में शादी करता है तो उसके खिलाफ मामला नहीं चलाया जा सकता है।

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