भारतीय वायुसेना के पास स्वदेशी स्मार्ट बम आ गया, जिसकी सेना को आवश्यकता थी। जो स्वयं नेविगेट और ग्लाइड कर सके और दुश्मन के ठिकानों को क्षणभर में नष्ट कर सके। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इस काम में मदद की।
इसके वैज्ञानिकों ने दो तरह के बम डिजाइन किए है। डिजाइन करने बाद इस बम को बनाने की जिम्मेदारी उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने ली। अदानी की कंपनी ने देश में बने स्वदेशी बम से देश को गर्वित किया है। विंग के माध्यम से ग्लाइड करने वाला पहला गौरव लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम है।
दूसरा गौथम बम बिना विंग वाला है। ये दोनों प्रेसिशन गाइडेड हथियार है। इनका उपयोग आमतौर पर सीमा से बाहर के लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस के रूप में किया जाएगा।
इससे फाइटर जेट के सर्वाइव करने और कोलेटरल डैमेज होने की संभावना कम हो जाती है। गौरव 1000 किलोग्राम का विंग वाला लंबी दूरी का ग्लाइड बम है। वहीं, गौथम बिना विंग वाला 550 किलो का बम है। दोनों की लंबाई 4 मीटर है। दोनों का व्यास 0.62 मीटर है।
गौरव और गौथम दोनों बमों में CL-20 यानी फ्रैगमेंटेशन और क्लस्टर म्यूनिशन लगते है। लक्ष्य के संपर्क करते ही प्रॉक्जिमिटी फ्यूज़ कर देता है और विस्फोटक फट जाता है। गौरव के पास ग्लाइड करने के लिए 100 किलोमीटर की रेंज है।
जबकि गौथम बिना विंग के 30 किमी ही ग्लाइड कर पाता है। यह अधिकतम 10 किमी की ऊंचाई तक जा सकता है।
दोनों बमों में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम प्रणाली है। जो जीपीएस और नाविक सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम की मदद से लक्ष्य तक पहुंचता है। इसे सुखोई सू-30एमकेआई फाइटर जेट पर तैनात किया जा सकता है।
पिछले साल अक्टूबर में बालासोर में एक सुखोई फाइटर जेट से गौरव का सफल परीक्षण किया गया था। इससे पहले 2014 में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। दोनों की वर्तमान में 50 से 150 किलोमीटर की उन्नत रेंज है।