काफी समय बाद देश में 1.2 लाख करोड़ रुपए की एविएशन इंडस्ट्री के लिए साल 2022 में बड़ा बदलाव हुआ है. सरकारी कंपनी एयर इंडिया अब 27 जनवरी 2022 से प्राइवेट कंपनी हो गई है. इस हिसाब से टाटा संस ने आधिकारिक तौर पर एअर इंडिया को अपने नाम कर लिया है. इसके बाद टाटा देश की दूसरी बड़ी एयरलाइन बन गई है।
विनिवेश विभाग के सचिव ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी. उन्होने लिखा कि एअर इंडिया को टेकओवर करने की प्रक्रिया आज पूरी कर ली गई है और यह डील अब बंद हो चुकी है. इसका पूरा शेयर टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर किया जा चुका है. इसके बाद चंद्रशेखरन ने कहा कि हम इस डील से काफी खुश हैं कि एअर इंडिया टाटा ग्रुप के पास आ गई है. हम अब एक वर्ल्ड क्लास की एयरलाइंस बनाने के लिए काम करेंगे।
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होने कहा कि कि एअर इंडिया की जिस दिन से टाटा को दिए जाने का ऐलान हुआ था, 'घरवापसी' यह शब्द सभी की जुबान पर था. हम एअर इंडिया का टाटा परिवार में स्वागत करते हैं. हमारी पहली फ्लाइट एअर इंडिया ही थी जिसमें मैंने दिसंबर 1986 में यात्रा की थी. मैं उस दिन को कभी भी नहीं भूल सकता. पर अब समय आगे देखने का है. मैं अपने परिवार में आपका स्वागत करते हुए टाटा ग्रुप की तरफ से यह चिट्ठी लिख रहा हूं. आज एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है. पूरा देश हमारी ओर देख रहा है.
चंद्रशेखरन की चिट्ठी
पीएम से मुलाकात के बाद एअर इंडिया ऑफिस पहुंचे चंद्रशेखरन
पीएम मोदी से सीधे मुलाकात के बाद चंद्रशेखरन सीधे नई दिल्ली स्थित एअर इंडिया के ऑफिस पहुंचे. उसके बाद देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ने कहा कि वह बैंकों के समूह के साथ किसी भी तरह के लोन की जरूरत के लिए तैयार खड़े है.
स्टेट बैंक ने कहावह एअर इंडिया को जितनी भी जरूरत होगी, वर्किंग कैपिटल और अन्य के लिए लोन देगा।
एअर इंडिया के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर कई महत्वपूर्ण उड़ानें हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि नए मैनेजमेंट के साथ डोमेस्टिक और इंटरनेशनल ट्रैवल वाले यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं.
एअर इंडिया अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखते है कि दो आइकॉनिक नाम अब एक साथ आ गए हैं. एअर इंडिया और टाटा ग्रुप एक नए अध्याय का शुभारंभ करेंगे. हम अपनी समृद्ध विरासत और राष्ट्र सेवा के लिए एक साझा मिशन द्वारा तेज गति से आगे बढ़ने के लिए तैयार है. वेलकम अ बोर्ड। टाटा कंपनीज।
विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नए मालिक को बधाई। मुझे विश्वास है कि एयरलाइंस नए विंग के तहत चमकेगी. टाटा ग्रुप महाराजा की खोई चमक को फिर से प्राप्त करेगा. सबसे पहले एअर इंडिया के समय पर प्रदर्शन को लेकर काम किया जाएगा क्योंकि इसकी लेटलतीफी सबसे ज्यादा परेशानी का कारण हैं.
केबिन क्रू को भेजा ईमेल में कहाहम आज रात से पब्लिक सेक्टर से प्राइवेट सेक्टर के तहत एअर इंडिया के लिए काम करेंगे. अगले सात दिन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम अपनी छवि और नजरिए को बदलेंगे.
यात्रियों का होगा मेहमान की तरह स्वागतइनफ्लाइट सेवाओं के लिए संदीप वर्मा और मेघा सिंघानिया के नाम पर मुहर लगी है. रतन टाटा की ओर से एक रिकार्डेड ऑडियो जारी हुआ है. जिसमें कहा गया है कि यात्रियों का स्वागत मेहमान की तरह किया जाएगा. इनफ्लाइट के अनाउंस में बदलाव किया जाएगा. केबिन क्रू अब स्मार्ट ड्रेस में दिखेगा. नियमों का पालन होगा. डिपॉर्चर के 10 मिनट पहले अब फ्लाइट का गेट बंद किया जाएगा.
टाटा ग्रुप पूरी तरह बदलाव का करेगा काम
टाटा ग्रुप ने कहा कि वे पूरी तरह तरह से बदलाव का काम करेगें. उदाहरण के तौर पर केबिन को अपग्रेड किया जाएगा. टाटा ग्रुप ने कहा है कि शुरू में वह 5 फ्लाइट्स में फ्री में खाना देंगी. हालांकि, अभी एअर इंडिया टाटा ग्रुप के बैनर तले नहीं उड़ेगी. जिन फ्लाइट्स में फ्री खाना मिलेगा, उसमें मुंबई-दिल्ली की दो फ्लाइट्स AI864 और AI687, AI945 मुंबई से अबूधाबी और AI639 मुंबई से बेंगलुरु शामिल हैं साथ ही मुंबई-न्यूयॉर्क रूट पर चलने वाली फ्लाइट में भी फ्री खाना मिलेगा. टाटा ग्रुप ने कहा कि बाद में फ्री खाने को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा।
ये तो थी एयर इंडिया को लेकर अभी की जानकारी. आइए अब जानते हैं कि एअर इंडिया की शुरुआत कैसे हुई, कैसे वो टाटा से सरकार के पास और सरकार से फिर टाटा के पास आई. कैसे पूरी एविएशन इंडस्ट्री में बदलाव होने वाला है और इसका फायदा कैसे यात्रियों को होने वाला है.
1932 में हुई थी एअर इंडिया की शुरुवात
एअर इंडिया के इतिहास की बात करें तो इसे अप्रैल 1932 में शुरू किया गया था. इसकी स्थापना उद्योगपति JRD टाटा ने की थी. उस वक्त नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था. JRD टाटा ने केवल 15 साल की उम्र में साल 1919 में पहली बार शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ाया था, लेकिन शौक कब जुनून बना पता ही नहीं चला और JRD टाटा ने अपना पायलट का लाइसेंस ले लिया.
एयरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी गई थी. तब सिर्फ सिंगल इंजन वाला 'हैवीलैंड पस मोथ' हवाई हुआ करता था, जो अहमदाबाद-कराची के रास्ते मुंबई गया था. प्लेन में उस वक्त एक भी यात्री नहीं था बल्कि 25 किलो चिट्ठियां थीं. चिट्ठियों को लंदन से 'इम्पीरियल एयरवेज' से कराचे लेकर आया गया. यह एयरवेज ब्रिटेन का राजसी विमान था. बाद में वर्ष 1933 में टाटा एयरलाइंस ने यात्रियों को लेकर पहली उड़ान भरी. टाटा ने दो लाख रुपए की लागत से अपनी कंपनी की स्थापना करी.
2015 में एयर इंडिया का हुआ मेकओवर हुआ था और वही मेकओवर अभी भी जारी है. धोती पगड़ी के साथ-साथ जींस और सूट भी पहना जाने लगा. एअर होस्टेस को पारंपरिक भारतीय साड़ी में ब्रांड किया गया. यही इमेज आज भी जारी है.
कहा जाता है भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट है. यह 1.20 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री है. 2021 में कुल 10.5 करोड़ लोगों ने घरेलू रूट्स पर यात्रा की थी. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत चीन और अमेरिका को इस मामले में पीछे छोड़ सकते है.
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि आगामी 4 सालों में इस इंडस्ट्री में 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा. भारत सरकार ने 2026 तक 14 हजार करोड़ रुपए के निवेश की योजना है जो एयरपोर्ट इंफ्रा के विकास पर खर्च होगा.
पहले चरण के अनुसार टाटा ग्रुप कंपनी को घाटे से मुनाफे में लाने पर काम करेगा. इसके बाद इसे कर्ज से छुटकारा दिलाया जाएगा और हो सकता है कि इसका आईपीओ लाकर बाजार में लिस्ट कराया जाए. ये सब तभी होगा, जब कंपनी घाटे से उभर पाए. क्योंकि इसका वैल्यूएशन उसी के बाद होगा. हो सकता है घाटे वाले रुट पर एयरलाइन बंद कर दे. इससे भी कर्ज कम करने में मदद ही मिलेगी. फिलहाल एयर इंडिया के पास फिलहाल 114 एयरक्राफ्ट हैं. इसमें से 42 लीज पर और 99 खुद के हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि टाटा ग्रुप जिस तरीको से काम करता है, वह इस कंपनी को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा. क्योंकि इससे उसका एक गहरा लगाव भी है और एअर इंडिया को कई बार खरीदने की बात खुद रतन टाटा भी कह चुके थे. सन 1990 में भी एयरलाइंस की शुरूवात हो जाती लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए.
शुक्रवार को हुई थी बोर्ड मीटिंग
पिछले शुक्रवार को कंपनी की बोर्ड मीटिंग हुई थी. उसमें विक्रम देव को नया चेयरमैन बनाया गया था. इस तरह से जो वर्तमान में बोर्ड सदस्य हैं, वे अपना इस्तीफा देंगे और महीने के अंत में टाटा के पास इसका नया बोर्ड होगा. टाटा ग्रुप एविएशन का मार्केट में 25-30% मार्केट शेयर है. जिससे ये दूसरा बड़ा एयरलाइन प्लेयर बन जाएगा.
अब टैलेस चलाएगी एअर इंडिया को
पिछले साल अक्टूबर में टाटा ग्रुप की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने एअर इंडिया को खरीदने का टेंडर अपने नाम किया था. टैलेस ही वो कंपनी है जो टाटा के एयरलाइंस बिजनेस को संभालेगी. इसके लिए 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर टेंडर अपने नाम किया. एअर इंडिया एक्सप्रेस के साथ सैट्स में भी टाटा ग्रुप की 50% हिस्सेदारी है.
अकासा मई तक उड़ान भरना करेगा शुरू
अक्टूबर में टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया की बोली जीती और उसी महीने में दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला की अकासा को सरकार से नो ऑब्जेक्शन का सर्टिफिकेट भी मिल गया. माना जा रहा है कि अकासा मई तक उड़ान भरना शुरू कर देगी. वही सितंबर 2021 में जेट सेट गो नाम की एक कंपनी ने भी 2024 तक अपनी उड़ान शुरू करने की योजना की ऐलान किया है.
शेयर बाजार के बिग बुल राकेश झुनझुनवाला की अल्ट्रा लो कॉस्ट एयरलाइन अकासा एयर ने भी 72 बोइंग 737 मैक्स जेट के ऑर्डर दिए. ये ऑर्डर दुबई में हो रहे एयर शो में दिया गया था. इनकी कुल किमत 9 अरब डॉलर है. एयरक्राफ्ट की डिलीवरी इसी साल शुरू होनी है. कंपनी के CEO विनय दुबे का कहना है , 'हमारा मानना है कि नया 737 मैक्स विमान न केवल एक किफायती एयरलाइन चलाने के हमारे लक्ष्य को सपोर्ट करेगा, बल्कि इससे अकासा एक एनवायरमेंट फ्रेंडली कंपनी भी होगी।
2022-23 में हमारे पास कुल 18 एयरक्राफ्ट होंगे. उसके बाद के साल में 14 से 16 एयरक्राफ्ट होंगे. इन सभी विमानों की कीमत 9 अरब डॉलर के पास है. आगामी 5 सालों में 72 एयरक्राफ्ट की योजना है.
कंपनी शुरू में करेगी महानगरों पर फोकस
फिलहाल कंपनी शुरुआत में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु के रूट पर अपनी सेवाएं देगी. कंपनी इंटरनेशनल रूट पर फ्लाइट पहले पड़ोसी देशों में शुरू कर फिर इसे दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व देशों में विस्तार करेगी.
जेट के बेड़े में 3 सालों में 50 विमान होंगे शामिल
जेट एयरवेज 2.0 के नए प्रमोटर्स को आगामी 3 सालों में 50 नए विमान शामिल करने की उम्मीद है. कर्ज तले दबे होने के कारण जेट एयरवेज अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई थी. इससे पहले एयरलाइन को साउथ एशियन नेशन की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन का बिल्ला हासिल था. अकासा के आने से उसी तरह का बिखराव पैदा हो सकता है जैसा कि किंगफिशर एयरवेज के 2005-06 में शुरुवात में था.
जेट एयरवेज उड़ान भरने की तैयारी
जेट एअरवेज अब फिर से उड़ान भरने की कोशिश में है. 5 साल में 100 एयरक्राफ्ट इसमें शामिल किए जाने की तैयारी है. 1 हजार कर्मचारियों की संख्या से इसे इसी साल मई में शुरू किया जाएगा. हालांकि लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
सरकार भी कर रही है काम
इस इंडस्ट्री में सरकार भी फायदा देने पर लगातार काम कर रही है. 2017 में उडा़न की शुरुआत की गई थी. इसका मतलब छोटे-छोटे एयरपोर्ट को जोड़कर वहां तक फ्लाइट को शुरू करना है. फिलहाल 370 से ज्यादा रूट पर यह काम हो चुका है तो वहीं इस पर अब तक 3,550 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है.
किराए में गिरावट देखने को मिल सकती है
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन एयरलाइंस के आने से तुरंत ही एयर फेयर में गिरावट की आशंका है. इसका सीधा फायदा यात्रीयों को होगा. हालांकि इसमें 2-3 सालों का समय लग सकता है, जब ये दोनों एयरलाइन अपने स्केल को बढ़ा लेगी।
इंडिगो है एविएशन मार्केट का लीडर
एविएशन मार्केट का लीडर इस वक्त इंडिगो है, जिसके बेड़े में लगभग 278 विमान हैं. अक्टूबर 2021 तक इस कंपनी का शेयर मार्केट में लगभग 50 प्रतिशत था. वहीं अब आने वाले दिनों में अकासा और जेट एयरवेज 2.0 के साथ-साथ एयर इंडिया से इसे टक्कर मिल सकती है.
व्यस्त रूट पर प्राइम स्लॉट मिलना काफी मुश्किल
यहां बात ध्यान देने वाली ये है कि अकासा और जेट एयरवेज 2.0 दोनों को अपने लॉन्च के तुरंत बाद मुंबई जैसे बिजी एयर रूट पर प्राइम स्लॉट मिलना काफी मुश्किल होने वाल है. जिससे उन्हें का सामना करना पड़ सकता है. एअर इंडिया के पास फिलहाल 117 विमानों का बेड़ा है. 4400 डोमेस्टिक और 1800 इंटरनेशनल लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट्स भी हैं, हालांकि इसे पहले कंपनी को 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज अदा करना होगा फिर फायदे में आने का सोचना होगा साथ ही मार्केट में कंपनी को अपनी पोजिशन भी बनानी होगी.
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