Amnesty India Active: भारत सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने वाला संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ एक बार फिर चर्चा में है। एमनेस्टी इंडिया ने मंगलवार (23 मई 2023) को कर्नाटक में नव-निर्वाचित कांग्रेस सरकार के लिए हिंदू विरोधी मांगों की एक सूची जारी की। इसमें हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने, गोहत्या की अनुमति देने और मुस्लिम दुकानों का बहिष्कार करने वाले हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है।
एमनेस्टी इंडिया ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार से मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए तीन प्रमुख कार्रवाई का आह्वान किया।
एमनेस्टी इंडिया ने अपनी पहली मांग में शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने को कहा। उसने कहा, “यह प्रतिबंध मुस्लिम लड़कियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर करता है। इससे समाज में सार्थक रूप से भाग लेने की उनकी क्षमता बाधित होती है।”
कर्नाटक में दिसंबर 2021 में मुस्लिम लड़कियों के एक समूह ने क्लास में हिजाब पहनकर आना शुरू किया। रोके जाने पर उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके बाद सरकार ने राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
एमनेस्टी इंडिया ने अपनी दूसरी मांग में पशु क्रूरता (रोकथाम) अधिनियम, 2020 और कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 2022 के प्रावधानों की समीक्षा करने और उन्हें निरस्त करने के लिए कहा। दूसरे शब्दों में, एमनेस्टी इंडिया ने कर्नाटक में गोहत्या की अनुमति की मांग की है।
एमनेस्टी इंडिया ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि गोवध और धर्मांतरण पर बने कानून का दुरुपयोग हो सकता है और इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, एमनेस्टी इंडिया ने मुस्लिम विक्रेताओं का बहिष्कार करने वाले हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया।
एमनेस्टी इंडिया की तीसरी मांग है हिंदू विरोधी ताकतों को राज्य में धर्मांतरण रैकेट (लव जिहाद) चलाने की इजाजत दी जाए।
उसने अपने ट्वीट में कहा, “राज्य में चुनावों से पहले मुस्लिम के आर्थिक बहिष्कार और उनके खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया था। धर्म-जाति आधारित भेदभाव से प्रेरित घृणा और घृणित अपराधों को समाप्त करने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करें।” दिलचस्प बात यह है कि ऐसी कई रिपोर्ट आई हैं, जिनमें मुस्लिमों ने हिंदू व्यवसायों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है, लेकिन एमनेस्टी ने इसे कभी भी घृणित नहीं कहा।
एमनेस्टी इंडिया स्पष्ट रूप से भारत में कट्टरपंथी इस्लामवादियों के घृणित अपराधों की आलोचना करने में विफल रहा है। उदाहरण के लिए, राजस्थान के उदयपुर में हिंदू दर्जी कन्हैया लाल की हत्या की निंदा की, लेकिन इस संगठन ने एक बार भी यह उल्लेख नहीं किया कि उनकी हत्या दो कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने की थी। यहां तक कि उसने गिरफ्तार किए गए आरोपितों- रियाज और गौस मोहम्मद का नाम तक नहीं लिया।
एमनेस्टी के इस ट्वीट पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कर्नाटक कांग्रेस के एमएलसी प्रकाश राठौड़ से मीडिया ने जब इन मांगों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “सरकार ने कुछ दिन पहले ही अपना कामकाज शुरू किया है। मुझे पूरा यकीन है कि बहुत जल्द एक उचित निर्णय लिया जाएगा।”
एमनेस्टी इंटरनेशनल का हिंदू विरोधी और भारत विरोधी गतिविधियों का इतिहास रहा है। साल 2019 में ऑपइंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, ब्रिटिश सरकार और कट्टरपंथी इस्लामवादियों के बीच संबंधों का पर्दाफाश किया गया था। यह संगठन लगातार भारत को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला और मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश करता रहा है।
यही नहीं, एमनेस्टी इंडिया ने अगस्त 2020 में दिल्ली दंगों की रिपोर्ट के नाम पर जमकर प्रोपेगेंडा फैलाया था और दिल्ली पुलिस के क्रिया-कलापों को गलत तरीके से पेश किया था। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ ने सितंबर 2020 में भारत में अपने सभी क्रियाकलापों को रोक दिया था।
उस दौरान संस्था ने कहा था कि अब वो भारत में ‘मानवाधिकार की रक्षा’ के सारे क्रिया-कलापों को रोक रही है। ‘एमनेस्टी’ ने इसके पीछे भारत सरकार की ‘बदले की कार्रवाई’ को जिम्मेदार ठहराया था। उसने कहा था कि भारत सरकार ने उसके सभी बैंक खातों को पूरी तरह सीज कर दिया है।