एक तरफ तो देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ को भव्य तरीके से मनाने की तैयारियां की जा रही है। केंद्र सरकार ने इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और 13 से 15 अगस्त तक 'हर घर तिरंगा' अभियान की घोषणा की है। देशवासियों से 13 से 15 अगस्त तक तीन दिन अपने अपने घरों में तिरंगा फहराने की अपील की है। लेकिन आजादी का यह जश्न भी देश के ही कुछ अलगाववादी सोच रखने वाले नेताओं को रास नहीं आ रहा।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के नेता फारुख अब्दुल्ला और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती की आपत्ति के बाद हाल ही में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने तो लोगों से तिरंगा अभियान का बहिष्कार करने का आह्वान तक कर दिया। इससे पूर्व कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया केंद्र सरकार के हर घर तिरंगा अभियान को नाटक बताकर इस पर तंज कस चुके। इसी प्रकार कुछ दिनों पहले दिल्ली में भाजपा की ओर से आयोजित तिरंगा बाइक रैली में विपक्षी दलों का कोई सांसद शामिल नहीं हुआ था, जबकि इसमें सभी दलों के सांसदों को बुलाया गया था। हालांकि इसे सत्ता दल का कार्यक्रम बताया जा सकता है, लेकिन तिरंगा अभियान के विरोध को किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
अब प्रश्न यह उठता है कि देश और देश के सम्मान के खिलाफ बोलने वाले कट्टरवादी तत्वों और नेताओं पर क्या भारतीय कानून लागू नहीं होता। बोलने की आजादी के मायने यह तो नहीं हैं कि उन्हें देश और देश की अस्मिता के खिलाफ बोलने की खुली छूट मिल गई हो। ऐसे में यह सवाल वाजिब है कि ऐसे निरंकुश नेताओं और अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं दी जाती? क्या कानून ऐसे लोगों को कोई छूट प्रदान करता है? बोलने की आजादी के नाम पर क्या सबकुछ जायज है? प्रश्न यह भी उठता है कि क्या इनको इस बयानबाजी पर सख्त कार्रवाई इसलिए नहीं होती कि सत्तासीन दल इससे चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास करते हैं?
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को उच्च जातियों का संघ करार देते हुए केंद्र सरकार के हर घर तिरंगा अभियान को नाटक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा नाटककार बताया था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाजपा और आरएसएस के योगदान पर सवाल उठाया तथा आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान और संविधान का विरोध किया है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के नेता फारुख अब्दुल्ला से जब एक पत्रकार ने केंद्र के 'हर घर तिरंगा' अभियान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- वो अपने घर में रखना। यह तंज मारते हुए फारुख अब्दुल्ला तमक कर वहां से चले गए। नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख के जवाब का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 'हर घर तिरंगा' के सरकारी अभियान पर कटाक्ष करते हुए मोदी सरकार को चुनौती दी कि वह जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से में तिरंगा फहराए, जिस पर चीन का अवैध कब्जा है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर घाटी में लोगों को तिरंगा फहराने के लिए मजबूर करने से कुछ हासिल नहीं होगा। इससे पहले भी महबूबा मुफ्ती ने भी कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए में बदलाव से पहले तिरंगे को लेकर एक बार आपत्तिजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इतनी मुसीबतों के बाद भी हमारे यहां लोग भारत का झंडा हाथ में पकड़ते हैं, लेकिन अगर कश्मीर से आर्टिकल 35 ए हटाया जाता है तो यहां तिरंगे को कोई कंधा देने वाला नहीं बचेगा।
शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने केंद्र सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। पंजाब के संगरूर से सांसद ने लोगों से तिरंगा अभियान का बहिष्कार करने की बात कहकर विवाद छेड़ दिया है। मान ने इस अभियान का बहिष्कार करते हुए कहा, 'मैं आपसे 14-15 अगस्त को घरों और कार्यालयों में निशान साहिब फहराने का अनुरोध करता हूं। दीप सिद्धू आज हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि सिख स्वतंत्र और एक अलग समुदाय है।' इतना ही नहीं, अलगाववादी नेता ने भारतीय सुरक्षाबलों को दुश्मन करार देते हुए कहा, 'जरनैल सिंह भिंडरांवाले (मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी) दुश्मन की सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए।' वहीं, प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का प्रतिनिधित्व करने वाले आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून ने एक वीडियो संदेश में पंजाब के लोगों को तिरंगा जलाने और स्वतंत्रता दिवस पर खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए उकसाने की कोशिश की।
आप के प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा कि अभियान का बहिष्कार करना उनके असली चरित्र को दर्शाता है। उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने भारत के संविधान के अनुसार शपथ ली उनका भी पर्दाफाश हो गया है।' कांग ने कहा, 'उन्हें ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए क्योंकि हजारों पंजाबियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। हम हमेशा राष्ट्रीय ध्वज के लिए गहरा सम्मान करते हैं।'
भाजपा नेता विनीत जोशी ने गुरपतवंत सिंह पनुन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लोगों ने खालिस्तान को खारिज कर दिया है और कड़ी मेहनत से अर्जित शांति के मूल्य को समझा है। उन्होंने कहा, 'गुरपतवंत सिंह पन्नून आईएसआई की धुन पर नाच रहे हैं और देश में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, उनके द्वारा दिए गए भड़काऊ संदेशों को लोगों ने खारिज कर दिया। सरकार को उन्हें निर्वासित करने के प्रयास करना चाहिए।'
अकाली नेता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि भारतीय ध्वज सभी का है और पंजाब के लोगों को इस पर गर्व है। चीमा ने कहा, 'तिरंगा सभी का है और पंजाब के लोगों को तिरंगे पर गर्व है क्योंकि अधिकांश बलिदान पंजाब के लोगों द्वारा किए गए हैं। अधिकांश शहीद सिख परिवारों से थे।'