असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसे लेकर बवाल मच गया है। असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार कांवड़ियों पर होने वाले पुष्प वर्षा को लेकर ट्विटर के माध्यम से कहा कि अगर आप कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घरों को तो मत तोड़िए। दरअसल, इस वक्त सावन का महीना चल रहा है और देश भर में भोले के भक्त कांवड़ लेकर पवित्र यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान यूपी समेत देश के तमाम राज्य इनके लिए तमाम तरह के खास इंतजाम कर रहे हैं, इसी को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए लिखा, "यह 'रेवड़ी कल्चर' नहीं है? मुसलमान, खुली जगह पर चंद मिनट के लिए के नमाज़ भी अदा करे तो 'बवाल' हो जाता है। मुसलमानों को सिर्फ मुसलमान होने की वजह से पुलिस की गोलियों, हिरासती तशद्दुद, NSA, UAPA, लिंचिंग, बुल्डोज़र और तोड़-फोड़ का सामना करना पड़ रहा है।" उसके बाद एक पेपर की कटिंग लगा कर उन्होंने लिखा, 'कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह भेद-भाव क्यों? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों?' आगे उन्होंने लिखा, 'अगर इन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए।'
जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि जनसंख्या पर भारत चीन वाली गलती न करें। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की जनसंख्या स्टेबल हो जाएगी, लेकिन डेमोग्रेफिक डिविडेंट है, उस पर बात हो। ओवैसी ने कहा कि देश युवाओं का है। सरकार को युवाओं के रोजगार के लिए काम करना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत ने कन्वर्जन के बारे में कहा था। दरअसल, आरएसएस चाहती है कि भारत में एक महजब और एक जुबान हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। क्या दक्षिण भारत के कल्चर को उत्तर भारत में थोपा जा सकता है? चॉइस तो भारत के संविधान में हैं। उन्होंने मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि आप हिंदुत्व क्यों थोपते हैं। कोई मजहब चेंज करना चाहता है, उसे पर परेशानी क्यों हैं।