Amit Shah Assam Visit: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों असम के दो दिवसीय दौरे पर है। आज यानि मंगलवार को अमित शाह के दौरे का दूसरा दिन है। आज उन्होंने असम पुलिस को प्रेसिडेंट कलर अवार्ड सौंपा। इसके साथ-साथ उन्होंने अफस्पा को लेकर भी बड़ी घोषणा की है।
असम के दो दिवसीय दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुवाहटी में रैली में भाग लिया इसके बाद यहां के नेहरू स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम का हिस्सा बनें। शाह ने असम पुलिस को प्रेसिडेंट कलर अवार्ड सौंपा, और असम के लोगों को इस बात की बधाई दी।
बता दें कि यह अवार्ड असम पुलिस को पिछले 25 साल के कामकाज को देखते हुए दिया गया है। असम पुलिस को सौंपे गए प्रेसिडेंट कलर अवार्ड पर 36 स्टार है, जो असम के सभी 36 पुलिस जिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी राज्य पुलिस के लिए प्रेसिंडेट कलर अवार्ड प्राप्त करना बड़ी उपलब्धि होती है। असम इस अवार्ड को प्राप्त करने 10वां राज्य बना है।
हम बंगाल में भी घुसपैठ रोकने का प्रयास कर रहे हैं और असम में भी यह प्रयास जारी है। लेकिन बंगाल में हमें कोई समर्थन नहीं मिलता, बहुत सफलता नहीं मिलती। पर असम सरकार घुसपैठ के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ी है।अमित शाह
गुवहाटी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने अफस्पा (AFSPA) को लेकर भी कई बड़ी घोषणा की। केंद्रीय मंत्री ने कहा असम में 1990 में AFSPA (आर्म्स फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट) लगाया गया था। तब से इसे सात बार बढ़ाया जा चुका है।
PM नरेंद्र मोदी के 8 साल के कार्यकाल में असम के 13 जिलों को अफस्पा से बाहर किए जा चुका हैं। जो कि राज्य का 60 फीसदी हिस्सा है।अमित शाह ने आगे कहा कि राज्य में अफस्पा को और कम किया जाएगा। हम यह तय करेंगे कि असम के बाकी बचे हिस्से से ही अफस्पा को हटा लिया जाए, ताकि लोग बिना डरे आसानी से रह सके।
AFSPA एक ऐसा कानून है जिसमें सेना के जवानों को किसी भी समय किसी के भी घर छापेमारी का अधिकार मिल जाता है। इसमें सेना किसी भी व्यक्ति को शक के आधार पर गिरफ्तार करने का अधिकार है।
यह कानून देश के पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है। इन राज्यों के लोगों का कहना है कि सेना इस कानून का नाज़ायज फायदा उठा रही है। असम सहित पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में अफस्पा को लेकर लंबे समय से विरोध-प्रदर्शन चलता रहता है।
मणिपुर की आयरन लेडी कही जाने वाली इरोम चानू शर्मिला ने इस कानून के खिलाफ 23 सालों तक अनशन किया था। इनका कहना था की भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से इस कानून को पूरी तरह खत्म करना चाहिए। हालांकि बीते कुछ समय से पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा कम होने के बाद धीरे-धीरे अफस्पा के असर को कम किया जा रहा है।