महात्मा गांधी की हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर बीते कुछ समय चुंनिदा लोगों ने बेबाकी से गोडसे को बेहतर बताने का प्रयास किया। साथ में ये भी तर्क दिया जाता रहा है कि नाथूराम गोडसे ने जब गांधीजी की हत्या की थी उससे काफी समय पहले से ही गोडसे का आरएसएस से नाता टूट चुका था।
हमेशा आरएसएस की ओर से भी यही दावा किया जाता रहा है कि बापू की हत्या से पहले गोडसे ने संघ से पूरी तरह रिश्ता तोड़ लिया था। लेकिन हाल ही गोडसे पर अपनी नई किताब Gandhi's Assassin में धीरेंद्र झा ने इस बात को निराधार बताया है। उन्होंने दावा किया है कि आरएसएस और गोडसे के बीच कनेक्शन था।
DHIRENDRA K JHA
राइटर धीरेंद्र ने अपनी किताब में मेंशन किया है कि गोडसे RSS का प्रमुख तौर पर स्वयंसेवक था। धीरेंद्र ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि गोडसे को आरएसएस से बाहर करने का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले। किताब में बताया गया है कि ट्रायल से पहले नाथूराम गोडसे ने जो स्टेटमेंट दिया, उसमें 'हिदू महासभा का हिस्सा बनने के बाद RSS छोड़ने का किसी तरह का जिक्र नहीं है।' वहीं गोडसे ने अदालत के सामने अपने बयान में कहा था कि उसने 'RSS छोड़ने के बाद हिंदू महासभा जॉइन की थी लेकिन उसने ये नहीं बताया कि उसने कब आरएसएस को छोड़ कर हिंदू महासभा का दामन थामा था।
संघ ने हमेशा यही कहा है जो गोडसे ने अदालत में कहा था - वो ये कि उन्होंने 1930 के दशक के मध्य तक आरएसएस से संबंध तोड़ लिया था। वहीं संघ के अनुसार, अदालत के फैसले ने साबित कर दिया कि संघ का हत्या से कोई लेना-देना नहीं था। आरएसएस के नेता राम माधव ने भी बीबीसी से कहा है कि गोडसे को आरएसएस से जोड़ना केवल राजनीतिक तौर पर लाभ हासिल करने के लिए फैलाया गया झूठ ही है।
गोडसे ने अदालत में कहा था - वो ये कि उन्होंने 1930 के दशक के मध्य तक आरएसएस से संबंध तोड़ लिया था। वहीं संघ के अनुसार, अदालत के फैसले ने साबित कर दिया कि संघ का हत्या से कोई लेना-देना नहीं था।
झा के अनुसार गोडसे और आरएसएस के संबंधों पर बात की जाए तो नाथूराम के परिवार की राय जानना भी जरूरी हो जाता है। नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे ने कहा था कि उनके भाई ने आरएसएस नहीं छोड़ी थी। साल 2005 में गोपाल की मृत्यु हो गई थी। वहीं दूसरी ओर एक अन्य इंटरव्यू में गोडसे के परपोते ने 2015 में एक जर्नलिस्ट से बातचीत में बताया था कि नाथूराम 1932 में आरएसएस से जुड़े थे।
उस दौरान न तो उन्हें संघ से निकाला गया और नहीं उन्होंने संघ छोड़ा। झा ने बताया है कि 15 नवंबर 1949 को फांसी से पहले गोडसे ने आरएसएस की प्रार्थना की पहली की चार पंक्तियां कही थी। झा के मुताबिक यह घटना भी नाथूराम के आएसएस से संबंध को पुख्ता करती है।, इससे पता चलता है कि गोडसे आएसएस में सक्रिय थे।
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