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चक्रवातों का नाम कैसे होता है तय और आने वाले तूफानों को किन-किन नामों से जाना जाएगा

कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अंफान, अब ताऊते और यास....जैसे चक्रवातों के नाम हम सुन चुके हैं, जिन्हें तबाही का दूसरा नाम कहना भी गलत नहीं है। वहीं अब कोरोना संकट के बीच ताऊते ने तबाही मचाही और  तबाही का मंजर मुट्ठी में दबाकर अब 'यास' चक्रवात आ गया है।

savan meena

(How are the names of cyclones fixed) : कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अंफान, अब ताऊते और यास….जैसे चक्रवातों के नाम हम सुन चुके हैं, जिन्हें तबाही का दूसरा नाम कहना भी गलत नहीं है। वहीं अब कोरोना संकट के बीच 'ताऊते' ने तबाही मचाही और तबाही का मंजर मुट्ठी में दबाकर अब 'यास' चक्रवात आ गया है।

आपने तुफानों के बारें में और तुफानों के बहुत से नाम तो सुने होगें लेकिन क्या आप ये जानते है कि इन तुफानों का नाम रखता कौन है और क्या नाम रखना है ये कैसे तय होता है। चलिए इस लेख में हम आपको बताते है कि आखिर तुफानों के नाम कैसे रखें जाते है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) के तत्वावधान में ट्रॉपिकल चक्रवातों को आधिकारिक तौर पर दुनिया भर में फैले इसके एक चेतावनी केंद्र द्वारा नाम दिया जाता है।

क्यों किया जाता चक्रवातों का नामकरण?

(How are the names of cyclones fixed) : तबाही मचाने वाले चक्रवातों का नामकरण करने के पीछे की मुख्य वजह ये है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। बता दें कि तौकाते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली।

चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत

अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।

ऐसे चलती है नामकरण की प्रक्रिया

नामकरण करने वाली समिति में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं, उनको समिति में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश, फिर भारत का और इसी तरह ईरान व अन्य देशों का नाम आएगा, जिनके सुझाए गए नाम पर चक्रवात का नामकरण किया जाता है। चक्रवातों का नामकरण करने का हर बार अलग देश का नंबर आता है। यह क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।

'तौकाते' के बाद के तूफानों के होंगे ये नाम

सूची के हिसाब से मालदीव से बुरेवी, म्यांमार से तौकाते, ओमान से यास और पाकिस्तान से गुलाब नाम सूची में क्रमबद्ध हैं। बीते साल अप्रैल में ही नामों की नई सूची स्वीकृत की गई। पुरानी सूची में अंफान चक्रवात सबसे अंतिम नाम था।

नई सूची में ये नाम भी हैं शामिल

आगामी 25 साल के लिए देशों से नाम लेकर एक सूची बनाई जाती है। इन्हीं नामों में से अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं, उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग नाम शामिल है। जबकि बांग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन व बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्यांमार ने पिंकू नाम भी दिया है। 25 सालों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।

बता दें कि इससे पहले चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने, नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान तितली का नाम पाकिस्तान ने दिया।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम एल्फाबेटिकली और महिलाओं और पुरुषों के नाम पर होते हैं

चूंकि ट्रॉपिकल चक्रवात एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं, ऐसे में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं। इस प्रकार तूफानों को नाम दिए गए हैं ताकि पूर्वानुमान करते समय भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। सामान्य तौर पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार ही नाम दिया जाता है। हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम एल्फाबेटिकली और महिलाओं और पुरुषों के नाम पर होते हैं।

इस तरह तय किया जाता है नाम

उत्तरी हिंद महासागर में राष्ट्रों ने 2000 में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण के लिए एक नई प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया; ये नाम एल्फाबेट और तटस्थ लिंग के हिसाब से देश के अनुसार सूचीबद्ध हैं। सामान्य नियम यह है कि नाम सूची एक विशिष्ट क्षेत्र के WMO सदस्यों के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं (NMHS) द्वारा प्रस्तावित की जाती है, और संबंधित उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्षेत्रीय निकायों द्वारा उनके सालाना और दो साल में होने वाले सत्रों में अप्रूव की जाती है।

एशिया और प्रशांत पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन तय करते है चक्रवात का नाम

WMO/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (WMO/ESCAP) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) में 13 देशों के सदस्य हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जो चक्रवात का नाम तय करते हैं।

आठ सदस्यों वाले पैनल ने 2004 में 64 नामों की एक लिस्ट फाइनल की थी

आठ सदस्यों वाले पैनल ने 2004 में 64 नामों की एक लिस्ट फाइनल की थी। पिछले साल भारत में कहर बरपाने वाले चक्रवात के लिए अम्फान नाम उस सूची में अंतिम नाम था। WMO/ESCAP समिति ने 2018 में पांच और देशों को शामिल करने के लिए सदस्यों की सूची का विस्तार किया। पिछले साल, एक नई सूची जारी की गई थी जिसमें चक्रवातों के 169 नाम हैं, 13 देशों के 13 सुझावों का संकलन है।

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