दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति पर यू-टर्न ले लिया है। लागू होने के मात्र 9 महीने के अंदर ही नई आबकारी नीति को दिल्ली सरकार ने वापस ले लिया है। प्रदेश के डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्रालय संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने 6 महीने के लिए पुरानी आबकारी नीति लागू करने की घोषणा की है।
लेकिन इस आबकारी नीति पर जमकर आरोप – प्रत्यारोप की राजनीति होती दिखाई दे रही है। भाजपा दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है तो दिल्ली सरकार पुरानी आबकारी नीति को लागू करने के लिए गुजरात के जहरीली शराब कांड का सहारा ले रही है।
दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकार की नई आबकारी नीति पर सवाल उठाए थे और इस पर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। उपराज्यपाल के इसी कदम से ये नीति विवादों के घेरे में आ खड़ी हो गई। अंजाम ये निकला कि दिल्ली सरकार को अपनी नई पॉलिसी को 9 महीने के लिए वापस लेना पड़ा।
इधर दिल्ली के शराब व्यापारी भी इस नई आबकारी नीति से नाखुश दिख रहे थे। जिसका परिणाम था कि दिल्ली में पिछले 9 महीनों में लगभग 200 शराब की दुकानों के शटर गिर गए थे।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने नई आबकारी नीति को वापस तो ले लिया है। लेकिन वापस लेते हुए जो बयान दिया है वो राजनीतिक माहौल का तापमान बढ़ाने वाला है।
सिसोदिया ने नई नीति को वापस लेने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ा है और बीजेपी पर सीधे तौर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हम दिल्ली में गुजरात जैसी जहरीली शराब से त्रासदी नहीं चाहते, इसलिए दिल्ली पुरानी आबकारी नीति ही लागू रहेगी।मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम
इस पूरी कहानी का एक सच ये भी है कि दिल्ली के व्यापारी ही इस नीति से खुश नहीं थे। कहीं न कहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री अपनी सरकार की नीति के फेल्योर को छुपाने के लिए गुजरात के लट्ठा कांड का सहारा लेते हुए नजर आ रहे हैं।
डिप्टी सीएम ने कहा कि हमारी सरकार पिछले साल नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आई थी। 2021-22 की पॉलिसी लागू होने से पहले दिल्ली में ज्यादातर सरकारी दुकानें थीं।
दिल्ली में जो प्राइवेट दुकानों थी उनके लाइसेंस उन्होंने अपने लोगों को दे रखे थे और बहुत कम लाइसेंस फीस लेते थे। पहले दिल्ली में 850 दुकानें होती थी जो आज कुल 468 ही रह गई हैं।
पहले दिल्ली में 850 दुकानें होती थी जो आज कुल 468 ही रह गई हैं। आने वाले एक अगस्त से कई और दुकानें बंद हो जाएंगी क्योंकि सीबीआई और ईडी के डर से लोग दुकानें छोड़कर जाने वाले हैं।मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम
दिल्ली सरकार ने पिछले साल 17 नवंबर को नई आबकारी नीति को लागू किया था। इस नीति के अनुसार दिल्ली की सभी सरकारी और प्राइवेट शराब की दुकानों को बंद करके नई सिरे से टेंडर बांटे गए थे।
नई नीति को लेकर दिल्ली सरकार का कहना था कि नई आबकारी नीति से सरकार को करोड़ों रूपए के राजस्व का फायदा होगा। साथ ही प्रदेश में शराब माफिया पर भी लगाम लगेगी।
इस नीति में दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। नई नीति में सिर्फ 16 लोगों को शराब डिस्ट्रीब्यूशन की इजाजत दी गई थी। जिससे एकाधिकार बढ़ने की संभावना थी।
प्रदेश में नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की नियुक्ति के बाद ही ये नीति विवादों में आ गई थी। उपराज्यपाल ने इस नीति में कई गड़बड़ियां होने का अंदेशा जताया था और इस नीति पर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद ये नीति विवादों में घिर गई।
उपराज्यपाल की ये रिपोर्ट दिल्ली के डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। ये रिपोर्ट कहती है कि इस मनीष सिसोदिया ने वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति का उल्लंघन किया है।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति से शराब कारोबारी भी खुश नजर नहीं आ रहे थे। एक कारोबारी का कहना है कि सरकार न तो अपनी पॉलिसी को सही से लागू कर पाई है और ना ही शराब कारोबारियों को समझा पाई थी।
असलियत ये थी कि सरकार ने पहले तो शराब पर डिस्काउंट दिया फिर सरकार ने इसे वापस ले लिया। फिर दोबारा से सरकार ने शराब पर डिस्काउंट देने की छूट दे दी थी। कारोबारियों को इससे काफी नुकसान हुआ था।
सरकार की नई पॉलिसी के तहत हर वार्ड में शराब की दुकानें खोली गईं, जिससे कंपटीशन बढ़ गया। शराब कारोबारियों ने लोगों को भारी डिस्काउंट दिया। लेकिन बाद में सरकार द्वारा डिस्काउंट को हटा दिया गया। इससे शराब कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ। इसके अलावा नई पॉलिसी के तहत बॉर्डर एरिया पर शराब कारोबारी दुकान नहीं खोल पाए, उससे भी उनको काफी नुकसान हुआ।
इस मामले को लेकर विपक्ष ने लगातार सरकार पर आरोप लगाए हैं। विपक्ष लगातार केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। भाजपा का कहना है कि दिल्ली में शराब के कई छोटे विक्रेता अपनी दुकान बंद कर चुके हैं। साथ ही सरकार बड़े दुकानदार ग्राहकों को भारी डिस्काउंट दे रहे हैं, जिससे उन्हें व्यापार में घाटा हो रहा है।