शिक्षक भर्ती घोटालाः पश्चिम बंगाल के टीचर भर्ती घोटाले को लेकर अब राज्य की सियासत का तापमान बढ़ने लगा है। इधर ममता ने पहली बार इस मामले पर बयान दिया है तो ईडी ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
ईडी के अनुसार पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी पैसे के लेनदेन को छुपाने के लिए 12 फर्जी कंपनियां चला रही थीं। कोर्ट में दलील देते हुए ASG ने इसे गंभीर घोटाला बताया और ईडी की फुल कस्टडी की मांग की।
वहीं ममता ने पूरी तरह से पार्थ चटर्जी से मुंह फेर लिया है। ममता ने कहा है कि अगर आरोपी दोषी साबित होते हैं तो उनको उम्रकैद मिलने पर भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
ममता के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जाहिर तौर पर इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
ED ने जांच के दौरान पार्थ और अर्पिता के ठिकानों पर लगातार दबिश दी हैं और तलाशी ली है। इस दौरान एजेंसी को ज्वाइंट सेल डीड भी मिली है।
वहीं ASG का कहना है कि अर्पिता के फ्लैट की दस्तावेज भी पार्थ के घर से बरामद किए गए हैं। ये दोनों ही संयुक्त रूप से संपत्ति खरीद रहे थे।
वहीं जब अर्पिता से उनके घर से मिले कैश के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होने स्वीकार किया कि वो सब कैश पार्थ चटर्जी का था और इन पैसों को अर्पिता से जुड़ी कम्पनियों में लगाने की योजना बनाई जा रही थी।
इतना ही नहीं इस नकदी को एक दो दिन में उसके घर से बाहर ले जाने की योजना बनाई जा रही थी।
इस तरह से अर्पिता ने अपने घोटाला पार्टनर की पोल ईडी के सामने खोल कर रख दी।
आखिरकार दो दिन बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घोटाले को लेकर बयान दिया है। इस बयान से जाहिर होता है कि वो अपनी और अपनी पार्टी की साख बचाने में लगी हुईं है।
ममता ने साफ तौर पर भ्रष्टाचार की आलोचना की है और कहा है कि वो भ्रष्टाचार और घोटालों को समर्थन नहीं करती है। उन्होनें तो यहां तक कह दिया है कि दोषियों को उम्रकैद की सजा मिलने पर भी उन्हें आपत्ति नहीं होगी क्योंकि उन्होने कभी राजनीति अपने निजी फायदे के लिए नहीं की।
अब शायद दीदी ये भूल गई कि ये घोटाला उन्हीं के मंत्री ने, उन्हीं के कार्यकाल में किया था।
इधर तृणमूल कांग्रेस के पदाधिकारी भी पार्टी की छवि को बचाने में लगे हुए हैं। पार्टी ने साफ तौर पर घोटाले और मंत्री से दूरी बना ली है।
पार्टी हाईकमान ने घोटाले के लिए सिर्फ और सिर्फ मंत्री चटर्जी को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने प्रेस कान्फ्रेंस करके एलान कर दिया कि इस घोटाले के जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ चटर्जी हैं, पार्टी और सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं था।
कोर्ट में सामने आया कि पार्थ चटर्जी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ASG ने बताया कि पार्थ ने पंचनामा फाड़ दिया था। वहीं उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के कागजों पर भी हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। ईडी के जाल में फंसते मंत्री ने अपनी पावर दिखाने की कोशिश तो खूब की लेकिन प्रशासन के आगे उनकी चली नहीं।