राष्ट्रीय

छठे चरण की वोटिंग में बंगाल की अधिकांश सीटों पर भाजपा-टीएमसी विधायकों के बीच हिंसा की आशंका, पिछले साल 57 लोगों की हुई थी मौत

22 अप्रैल को उत्तर दिनाजपुर जिले की सभी 9 सीटों, नादिया जिले की 17 सीटों में से 9, उत्तर चौबीस परगना की 33 सीटों में से 17 सीटों और बर्धमान जिले की 24 सीटों के लिए चुनाव होंगे।

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- पश्चिम बंगाल में कूच बिहार में चौथे चरण की वोटिंग में हुई हिंसा में पांच लोग मारे गए। इस घटना के बाद, यह माना गया कि शेष चरणों में हिंसक घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन 5 वें चरण में चीजें नियंत्रण में रहीं और कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई। हालांकि, अभी तीन चरणों का मतदान बाकी है। इसलिए चुनाव आयोग काफी सतर्कता बरत रहा है। वास्तव में, हिंसा के मामलों में अब तक तृणमूल कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं। छठे चरण में चार जिलों की 43 सीटों पर मतदान होगा। खास बात यह है कि इन जिलों की ज्यादातर लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि ज्यादातर सीटों पर मौजूदा विधायक तृणमूल कांग्रेस के हैं। ऐसे में हिंसक झड़प की आशंका है।

Photo | Dainik Bhaskar

चार जिलों की 43 सीटों पर मतदान होगा

22 अप्रैल को उत्तर दिनाजपुर जिले की सभी 9 सीटों, नादिया

जिले की 17 सीटों में से 9, उत्तर चौबीस परगना की 33 सीटों में

से 17 सीटों और बर्धमान जिले की 24 सीटों के लिए चुनाव होंगे।

इन जिलों के समीकरण को देखते हुए, उत्तरी दिनाजपुर जिले

की तीन लोकसभा सीटें दार्जिलिंग, रायगंज और

बालूरघाट हैं। तीनों में भाजपा के सांसद हैं। जबकि तृणमूल की 9 विधानसभा सीटों में 6, एक पर सीपीएम, एक पर फारवर्ड ब्लॉक और एक पर कांग्रेस विधायक हैं।

लोकसभा में बीजेपी और विधानसभा में TMC आगे

नादिया जिले की दो लोकसभा सीटों में से एक पर भाजपा और एक तृणमूल सांसद है। जबकि यहां 17 विधानसभा सीटों में 13 तृणमूल, 2 कांग्रेस और एक-एक विधायक भाजपा और वाम दलों के हैं। उत्तर 24 परगना की दो लोकसभा सीटों में से एक तृणमूल और एक भाजपा सांसद है। विधानसभा की 12 सीटों में से 9 तृणमूल विधायक हैं। 2 पर सीपीएम और एक पर बीजेपी विधायक हैं। पूर्व बर्धमान सीट से तृणमूल सांसद हैं, जबकि बर्धमान जिला, जो इस सीट का एक हिस्सा है, शेष दो सीटों पर भाजपा सांसद है। 22 अप्रैल को पूर्व

बर्धमान की 8 सीटों में से 7 तृणमूल विधायक हैं और एक वामपंथी है।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, जैसे-जैसे बंगाल में मतदान आगे बढ़ेगा, खून खराबा भी बढ़ता जाएगा। अब तक हुई सभी हिंसक घटनाओं में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के समर्थक आमने-सामने आ गए हैं। जाहिर है, दोनों दल मुख्य चुनावी मुकाबले में हैं और सत्ता पर काबिज होने के लिए वे किसी खूनी खेल से परहेज नहीं कर रहे हैं। राज्य में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा कोई नई बात नहीं है। वाम मोर्चा के लंबे शासनकाल में, जब चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा हुई, ममता बनर्जी ने अधिक से अधिक केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की। आज वही ममता केंद्रीय बलों पर पक्षपात का आरोप लगा रही है।

नदिया के रानाघाट, उत्तर 24 परगना के बैरकपुर व बनगांव भाजपा सांसदों के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं। इसके अलावा हुगली, बर्दवान, दुर्गापुर और आसनसोल का शिल्पांचल भी भाजपा सांसदों का प्रभाव क्षेत्र है। हालांकि इन क्षेत्रों में विधानसभा क्षेत्र तृणमूल कांग्रेस के नियंत्रण में हैं, लेकिन भाजपा के नियंत्रण में लोकसभा होने के कारण भाजपा और तृणमूल को शेष चरण के मतदान में भाजपा और तृणमूल में जबर्दस्त टक्कर होगी।

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