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EVM VVPAT Case: 'बैलेट से चुनाव में क्या होता था, हमें सब याद है...' SC ने प्रशांत भूषण से ऐसा क्यों कहा?

Om Prakash Napit

Supreme Court On EVM VVPAT Case: ईवीएम में हेरफेर की आशंकाएं जताते हुए वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिस्टम पर संदेह नहीं करने की नसीहत दी। शीर्ष कोर्ट ने कहा, हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है, सिस्टम को इस तरह खारिज करने की कोशिश न करें।

याचिकाकर्ताओं की ओर से बैलेट से चुनाव का जर्मनी का उदाहरण दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनाव कराना बहुत बड़ा काम है, इस तरह के उदाहरण न दें। बैलेट सिस्टम पर लौटने वाले यूरोप के उदाहरण यहां नहीं चल सकते। जर्मनी में पांच-छह करोड़ जनसंख्या है और भारत में 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता संगठन की ओर से बैलेट से चुनाव कराने की पैरोकारी कर रहे वकील प्रशांत भूषण से यह भी कहा कि जब बैलेट से चुनाव होता था, तब क्या होता था, आप भूल गए होंगे पर हमें याद है।

पीठ ने पूछा कि आखिर मांग क्या है?

भूषण की दलीलों पर पीठ ने पूछा कि उनकी मांग क्या है। भूषण ने तीन मांगे रखीं। पहली, चुनाव बैलेट से कराए जाएं। दूसरी, वीवीपैट पर्ची मतदाता को मिले और फिर वह उसे बाक्स में डाले। तीसरी वीवीपैट मशीन में पारदर्शी शीशा लगाया जाए जो कि 2017 में मशीन के डिजाइन में परिवर्तन करके हटा दिया गया है और अब उसकी जगह एक धुंधला सा शीशा लगा दिया गया है और सात सेकेंड के लिए लाइट जलती है जब मतदाता अपनी पर्ची देख सकता है, लेकिन वह अंदर यह नहीं देख सकता।

EVM पर लोगों को भरोसा नहीं, इसका आधार क्या: कोर्ट

कुछ यूरोपीय देशों के बैलेट सिस्टम पर लौटने की दलीलों पर जस्टिस दत्ता ने कहा, 'यह बहुत बड़ा काम है। कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता। आपने जर्मनी की बात की, लेकिन वहां की आबादी कितनी है। मेरा गृह राज्य बंगाल ही जर्मनी से कहीं अधिक आबादी वाला है। हमें चुनावी प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा। इस तरह सिस्टम को खारिज करने की कोशिश न करें।' जब भूषण ने कहा कि ज्यादातर लोग ईवीएम पर भरोसा नहीं करते तो जस्टिस दत्ता ने सवाल किया कि ये आंकड़ा उन्हें कहां से मिला।

कोर्ट ने चुनाव आयोग से सजा का प्रावधान पूछा

भूषण ने जब एक प्राइवेट पोल का हवाला दिया तो न्यायाधीश ने कहा कि आप प्राइवेट पोल पर भरोसा कर रहे हैं। जस्टिस खन्ना ने भी कहा कि आप ऐसी दलीलें न दें। पीठ ने कहा कि उन्होंने इस मामले में चुनाव आयोग से आंकड़े मंगाए हैं और पूरी प्रक्रिया बताने को कहा है। चुनाव आयोग आंकड़े देगा और कोर्ट उसे देखेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि क्या हेरफेर करने पर सजा का प्रावधान है। कितनी सजा है क्योंकि यह गंभीर मामला होगा।

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