केंद्र ने कोविड-19 महामारी के दौरान गरीब परिवारों के स्वास्थ्य देखभाल खर्च के बोझ को साझा करते हुए सरकार ने बताया कि अब तक देश भर में आयुष्मान भारत योजना के तहत कम से कम 1.99 करोड़ गरीब लोगों को अस्पताल में इलाज मिल चुका है।
इस पर अब तक 24,683 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के आंकड़ों के अनुसार, अब तक लगभग 16.20 करोड़ पात्र लाभार्थियों को योजना के तहत सत्यापित किया गया है और आयुष्मान कार्ड प्रदान किए गए हैं।
सरकार ने बताया कि 918 स्वास्थ्य लाभ पैकेज (HBP) हैं, जिनमें कोरोना का इलाज और कोरोना टेस्ट के साथ 1,669 प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है। अब तक लगभग 23,000 सार्वजनिक और निजी अस्पतालों का एक नेटवर्क देश भर में आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के साथ जुड़ चुका है।
इससे पहले सरकार ने मंगलवार को बताया कि आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत 25 जुलाई तक 20.32 लाख नमूनों की कोविड-19 जांच की गई और 7.08 लाख मरीज अस्पताल में भर्ती हुए।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा कि लोक स्वास्थ्य राज्य का विषय है और कोविड-19 महामारी पर प्रतिक्रिया प्राथमिक तौर पर राज्य की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचआई) राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को एबी-पीएमजेएवाई के तहत मुफ्त कोविड-19 जांच और सभी पात्र लाभार्थियों का इलाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक समर्थन दे रहा है। पवार ने बताया कि महामारी के प्रसार के दौरान वर्तमान पैकेजों का उपयोग इलाज मुहैया कराने के लिए किया गया। बाद में कोविड-19 की जांच और इलाज के लिए विशेष पैकेज शुरू किए गए।
केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाईं जा रही हैं, जिनमें से एक है आयुष्मान भारत योजना। मोदी सरकार ने देश के गरीब परिवारों को मुफ्त और बेहतर इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना -PMJAY) की शुरुआत की है।
इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को बड़े अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा प्रदान की जाती है। इस योजना की सबसे खास बात है कि इसमें इलाज का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति को नहीं देना होगा।