H3N2 Virus: कोविड के बाद अब दूसरा वायरल इन्फ्लूएंजा अब चिंता बढ़ाने लगा है। देशभर में इन्फ्लूएंजा वायरस के A सबटाइप H3N2 के मामले बढ़ रहे हैं। कई मामलों में संक्रमितों को गंभीर बीमारी हो रही है। इसके लक्षण भी कोविड के जैसे ही हैं। सूत्रों के मुताबिक H3N2 वायरस से देश में दो मौत के मामले दर्ज हो चुके हैं। इसके साथ ही इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 90 हो गई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में भी इसे लेकर माथापच्ची शुरु हो गई है और रोकथाम के उपायों को लेकर कोशिशें तेज कर दी गई हैं। उत्तर भारत में इस बीमारी के अधिक मामले आ रहे हैं। खासकर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में इसके मरीज अधिक देखने को मिले हैं। साथ ही देश के दक्षिणी हिस्से कर्नाटक में भी इसके मरीज मिले हैं। कर्नाटक और हरियाणा में तो इससे मौतें भी हुई है।
डॉक्टरों के मुताबिक जितने भी मरीज अस्पताल पहुंच रहे है उनमें से अधिकतर 10 से 12 दिनों तक खांसी की शिकायत लेकर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या ये कोरोना ही है या कुछ और? एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस और इन्फ्लूएंजा दोनों मे एक जैसे ही लक्षण हैं। कोरोना की तरह H3N2 वायरस भी बड़ी तेजी से संक्रमित करता है। इन्फ्लूएंजा के संदिग्ध मरीजों के सैंपल की कोरोना जांच भी की जा रही है।
H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस के लक्षण दिखते ही लोगों को फौरन आरटीपीसीआर टेस्ट कराना चाहिए।
अच्छे क्वॉलिटी के मास्क का उपयोग करना चाहिए।
समय-समय पर हाथों को साबुन से अच्छे से धोना चाहिए।
संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से खुद को बचाना चाहिए।
पैनिक होने के बजाए बचाव के उपाय करने चाहिए।
जिन लोगों की इम्युनिकी कम है या गंभीर बीमार है, ऐसे लोगों का खास ख्याल रखें।
संक्रमित होने पर फौरन चिकित्सकों की सलाह लें।
H3N2 वायरस से संक्रमित मरीजों में खांसी, बुखार, ठंड लगना, सांस फूलना और घबराहट की शिकायत हो सकती है। इसके साथ ही कुछ मरीजों में गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की भी शिकायत मिली है। बड़ी परेशानी की बात ये है कि ये सभी लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं।
इंडियन कांउसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने नियमित रुप से हाथ धोने और मास्क लगाने की सलाह दी है। ये सभी सलाह कोविड से मिलते जुलते हैं। इसके साथ ही खान पान में बहुत सारे तरल पदार्थ, आंख और नाक को छूने से बचने और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पेरासिटामोल के सेवन का आग्रह किया है। कमजोर इम्यूनिटी वाले वयस्क, बुजुर्ग औऱ छोटे बच्चों में ये ज्यादा घातक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस चार टाइप- A, B, C और D का होता है। इनमें A और B टाइप से मौसमी फ्लू फैलता है।
हालांकि, इनमें इन्फ्लूएंजा A टाइप को महामारी का कारण माना जाता है। इन्फ्लूएंजा टाइप A के दो सबटाइप होते हैं। एक होता है H3N2 और दूसरा- H1N1
वहीं, इनफ्लूएंजा टाइप B के सबटाइप नहीं होते लेकिन इसके लाइनेज हो सकते हैं। टाइप C को बेहद हल्का माना जाता है और खतरनाक नहीं होता। जबकि, टाइप D मवेशियों में फैलता है।
आईसीएमआर के मुताबिक, कुछ महीनों में कोविड के मामले कम हुए हैं लेकिन H3N2 के मामले में बढ़ोतरी हुई है। सर्विलांस डेटा बताता है कि 15 दिसंबर के बाद से H3N2 के मामले बढ़े हैं।
आईसीएमआर ने बताया कि सीवियर एक्यूट रेस्पेरिटरी इन्फेक्शन (SARI) से पीड़ित आधे से ज्यादा लोग H3N2 से संक्रमित मिले हैं।