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दो-तरफा घिरा चीन: अरूणाचल में भारत ने तैनात की M-777 तोप, अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा ताइवान

भारतीय सेना ने कई M-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जरों तोपों को अरूणाचल प्रदेश में एलएसी के पास तैनात कर दिया है। इसकी जानकारी गुरूवार को सैन्य अधिकारियों द्वारा दी गई है। अरुणाचल प्रदेश में सेना अपने पक्ष को मजबूत करने में जुट गई है।

Ravesh Gupta

भारत अब वो भारत नहीं रहा है जो चीन की गीदड़भभकियों से डर जाएगा। आज का भारत चीन की धमकियों का मुंहतोड़ जवाब देना भी जानता है और आने वाले खतरे को भांपकर उसका इलाज करना भी जानता है।

इसी के चलते भारतीय सेना ने कई M-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जरों तोपों को अरूणाचल प्रदेश में एलएसी के पास तैनात कर दिया है। इसकी जानकारी गुरूवार को सैन्य अधिकारियों द्वारा दी गई है। अरुणाचल प्रदेश में सेना अपने पक्ष को मजबूत करने में जुट गई है।

इस क्रम में लद्दाख सेक्टर के अधिकतर संवेदनशील इलाकों में हावित्जरों को तैनात किया गया है। 30 किमी की मारक क्षमता वाली M-777 को चीन के साथ लगती भारतीय सीमा पर तैनात किया गया है।

इधर चीन के लिए ताइवान भी खतरा बना हुआ है। चीनी चेतावनी के बावजूद अमेरिका का एक प्रतिनिधि मंडल ताइवान यात्रा पर गया है।

30 किमी की रेंज वाली घातक तोप है M-777 होवित्जर

M-777 होवित्जर तोप दुश्मन के लिए घातक साबित हो सकती है क्योंकि इसकी रेंज 30 किमी है और इसे बीएई सिस्टम्स द्वारा बनाया गया है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसे आसानी से कभी भी चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

इस तोप को सेना को 2018 में दिया गया था। बोफोर्स घोटाले के बाद से नई आर्टिलरी गन के लिए 30 साल के इंतजार के बाद सेना को ये तोपें मिली थीं। गौरतलब है कि LAC के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देश के 50,000 से 60,000 सैनिकों को तैनात किया गया है।

चीन के साथ लगती भारतीय सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के मकसद से M-777 होवित्जर तोपों को तैनात किया गया है।

दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी

बीते साल से भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद चल रहा है। विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन विवाद पूरी तरह सुलझ नहीं पा रहा है। बातचीत के साथ-साथ चीन ने भारत से लगी सीमा में सेना की तैनाती बढ़ाई है। ऐसे में भारत भी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है।

ताइवान पहुंचा अमेरिकी दल

इधर दूसरी ओर चीन की धमकी को दरकिनार कर अमेरिकी सांसदों का एक और प्रतिनिधिमंडल ताइवान की यात्रा पर है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के दोनों दलों के सांसदों का आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ताइवान की राष्ट्रपति साइ वेंग-इन से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व फ्लोरिडा से डेमोक्रेटिक सांसद स्टेफनी मर्फी कर रहे हैं। मर्फी उन सांसदों में हैं, जिन्होंने ताइवान के समर्थन में हथियार बेचने की अनुमति देने वाला विधेयक पेश किया था। यह उसी तरह का विधेयक है, जिसे यूक्रेन के लिए पास किया गया था।

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