Karnataka Election: कर्नाटक की सत्ता में कांग्रेस पार्टी की वापसी हुई है। 224 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के 136 विधायक होंगे, यानी नई राज्य सरकार अपनी नीतियों के हिसाब से फैसले ले सकती है। ऐसे में क्या अब कॉन्ग्रेस पार्टी कई ऐसे मामलों में वोट बैंक के लिए राजनीतिक रुख अख्तियार करेगी, जो सीधे-सीधे इस्लामी कट्टरपंथ से जुड़े हैं?
PFI पर नरमी होगी? शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर क्या रुख रहेगा? ‘बजरंग दल’ बैन लगेगा? मुस्लिम आरक्षण फिर से बहाल कर दिया जाएगा?
सबसे पहले बात करते हैं PFI की। वो कांग्रेस सरकार ही थी, जिसने 1600 दंगाइयों पर से केस वापस ले लिए थे, जो पीएफआई से जुड़े हुए थे। बिना किसी जांच के ऐलान कर दिया गया कि इनका हिंसा में कोई हाथ नहीं।
सितंबर 2022 में जब केंद्र सरकार ने PFI पर बैन लगाया, तब कर्नाटक में इसके 50 से भी अधिक आतंकी पकड़े गए थे। NIA की छापेमारी में संगठन के कई अड्डे कर्नाटक में मिले। कर्नाटक में हवाला नेटवर्क के जरिए फंडिंग हो रही थी।
कांग्रेस की जीत के बाद कर्नाटक में फिर से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति तय लग रही है, ऐसे में राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये से क्या इस प्रतिबंधित संगठन को फिर से फलने-फूलने का मौका मिलेगा? मुस्लिम आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
25 जुलाई, 2023 को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। सर्वोच्च न्यायालय की 3 सदस्यीय पीठ इस मामले को सुन रही है। भाजपा सरकार ने मुस्लिम आरक्षण को हटाने के बाद कोर्ट में इस फैसले का बचाव किया, लेकिन अब लगता नहीं कि नई राज्य सरकार का रुख यही रहेगा।
इसी तरह, हिजाब को लेकर राज्य में उपद्रव किया गया। इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिजाब-बुर्का के समर्थन में अभियान चलाया। इनकी मांग थी कि शैक्षिक संस्थानों में यूनिफॉर्म के नियमों को धता बता कर मुस्लिम छात्राओं को बुर्का पहनने की इजाजत मिले।
इस मामले की भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। ये सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में चल ही रही है। कर्नाटक सरकार ने साफ़ कर दिया था कि स्कूल-कॉलेजों में हिजाब की अनुमति नहीं है, हाईकोर्ट ने इस फैसले को सही भी ठहराया था।
एक और मुद्दा है ‘बजरंग दल’ को बैन करने का, जिसका वादा कांग्रेस पार्टी ने अपनी घोषणापत्र में किया था। ‘बजरंग दल’ हिन्दू हित में काम करता है और हिन्दू पीड़ितों की आवाज उठाता है। इसकी तुलना कॉन्ग्रेस ने PFI से कर दी। क्या ऐसा कर के उसने ‘बजरंग दल’ के खिलाफ हिंसा के लिए नहीं भड़काया? अगर संगठन के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
हिन्दू युवा नेता प्रवीण नेट्टारू की कर्नाटक में कुल्हाड़ी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पकड़े गए हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई में भी क्या कॉन्ग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण के हिसाब से ही फैसला लेगी?