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Kerla Story: हाईकोर्ट का फिल्म 'केरल स्टोरी' पर रोक से इनकार, कहा- इस्लाम व मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं

The Kerla Story: केरल हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी फिल्में बनी थीं जिसमें हिंदू संन्यासियों को स्मगलर के तौर पर दिखाया गया पर हालात खराब नहीं हुए।

Om Prakash Napit

The Kerla Story: केरल हाईकोर्ट ने फिल्म द केरल स्टोरी की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि फिल्म के ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।

कोर्ट ने आदेश जारी करने से पहले फिल्म का ट्रेलर देखा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस फिल्म में इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। बल्कि इराक और सीरिया के बारे में दिखाया गया है। इस फिल्म में मुस्लिम मजहब पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। बल्कि आईएसआईएस की कहानी दिखाई गई है।

जस्टिस एन नागरेश, जस्टिस सोफी थॉमस और जस्टिस मोहम्मद नियास की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान दलीलें

बता दें कि केरल हाईकोर्ट में शुक्रवार (5 मई) को ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। फिल्म पर रोक लगाने की मांग करने वाले पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर में एक समुदाय विशेष को गलत तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है, इससे समाज में वैमनस्य फैलेगा।

वकील की इस दलील पर कोर्ट ने दवे से पूछा कि क्या वाकई में इस फिल्म के ट्रेलर में ऐसा कुछ है जिससे माहौल खराब हो सकता है? कोर्ट की ओर से मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा गया कि शुरुआती तौर पर हमको मिली जानकारी के मुताबिक इस फिल्म में ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं है और वैसे भी इस फिल्म को संबंधित विभागों से हरी झंडी मिल चुकी है।

कोर्ट ने गिनाए कुछ उदाहरण

कोर्ट ने कहा कि वैसे भी इस फिल्म का ट्रेलर अभी नहीं रिलीज हुआ। कहा कि बहुत पहले एक फिल्म आई थी जहां पर पुजारी एक मूर्ति के ऊपर थूक देता है, लेकिन उसके बावजूद यहां पर माहौल खराब नहीं हुआ। कुछ फिल्मों में हिंदू संन्यासियों को स्मगलर के तौर पर दिखाया गया, लेकिन फिर भी हालात खराब नहीं हुए। फिल्म निर्माताओं ने बता दिया है कि फिल्म काल्पनिक है। फैक्ट पर चर्चा करें तो भूत नहीं होता है, लेकिन फिर भी इस पर फिल्में बनती हैं।

कोर्ट ने यह भी दिया तर्क

केरल उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि निर्माताओं ने फिल्म के साथ एक ‘डिस्क्लेमर’ प्रकाशित किया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और यह घटनाओं का नाट्य रूपांतरण है और फिल्म इनकी सत्यता की पुष्टि या ऐतिहासिक घटनाओं के तथ्यों की पुष्टि नहीं करती है।

अदालत ने कहा, ‘‘डिस्क्लेमर के मद्देनजर हम निर्माताओं को फिल्म का प्रदर्शन करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। उपर्युक्त बातों के मद्देनजर और निर्माता द्वारा दिए गए इस बयान, कि निर्माता की मंशा अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भड़काऊ टीजर जारी करने की नहीं थी, पर विचार करते हुए इस समय इस याचिका के संदर्भ में कोई और जरूरी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।’’

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