राष्ट्रीय

Lithium in J&K: लिथियम 'खजाने' बदलेगी भारत की तकदीर, अब चीन की यूं उड़ने वाली है नींद

Lithium in J&K: अभी लिथियम आयन बैटरी इम्पोर्ट के लिए भारत चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भर है। Since Independence पर जानें कैसे बदलेगी भारत की किस्मत?

Om Prakash Napit

Lithium in J&K: जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम के भंडार की कुल क्षमता 59 लाख टन है। इस खोज के बाद भारत, चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया में लिथियम आयन के रिजर्व वाला तीसरा देश बन गया है। अभी इस रेअर अर्थ एलिमेंट के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। लिथियम के भंडार मिलने के बाद अब भारत आत्मनिर्भर बन सकता हैं।

लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक-व्हीकल समेत कई आइटम्स के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है।

पश्चिम से लेकर दक्षिण तक दुनिया के तमाम देश अब धीरे-धीरे अपने ट्रांसपोर्टेशन को ई-व्हीकल्स की तरफ शिफ्ट कर रहे हैं। ऐसे में भारत के जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार का मिलना किसी जैकपॉट लगने से कम नहीं है।

देश में पहली बार लिथियम का भंडार मिला है और ये भी कोई छोटा मोटा भंडार नहीं है। इसकी कुल क्षमता 59 लाख टन है, जो चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। इस खोज के बाद भारत लिथियम कैपिसिटी के मामले में तीसरे नंबर पर आ गया है।

यूं समझें पूरा गणित...

  • अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा लिथियम ऑयन बैटरी का आयात होता है।

  • अमेरिका में करीब 1.65 लाख, भारत में 1.54 लाख और तीसरे नंबर पर मौजूद वियतनाम में 75 हजार लिथियम ऑयन बैटरी का आयात किया गया।

  • भारत में सबसे ज्यादा बैटरी आयात चीन, जापान और वियतनाम से होता है।

  • 2030 तक के लक्ष्य के मद्देनजर भारत को सालाना 1 करोड़ लिथियम आयन बैटरी का उत्पादन करने की जरूरत होगी।

तो चीन की बादशाहत होगी खत्म?

चीन ने 2030 तक 40 फीसदी इलेक्ट्रिक कारों का लक्ष्य तय किया है। दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली हर 10 लीथियम बैटरी में से 4 का इस्तेमाल चीन में होता है। इसके उत्पादन में भी चीन दूसरों से आगे है। दुनियाभर के लिथियम बैटरी के कुल उत्पादन का 77 फीसदी चीन में होता है।

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए चीन ने 2001 में ही योजना तैयार कर ली थी। 2002 से ही उसने इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण की योजना में निवेश शुरू कर दिया था।

भारत में तैयार और असेंबल की जाने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इम्पोर्टेड लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। अगर देश अपने खुद के रिजर्व का इस्तेमाल कर पाता है तो फिर घरेलू बाजार में लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण में इजाफा हो सकता है। इस मामले में अभी भारत चीन पर काफी कुछ निर्भर है।

बदल जाएगा लिथियम आयात का समीकरण

भारत के लिए ये खोज बड़ी करामाती साबित हो सकती है। अभी तक भारत में जरूरत का 96 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है। इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लिथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसके अगले साल यानी 2021-22 में भारत ने 13,838 करोड़ रुपए की लिथियम आयन बैटरी इम्पोर्ट की थीं।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार