राष्ट्रीय

MP News: ‘गोटमार’ मेले में जमकर पथराव; 250 से ज्यादा घायल, एक दर्जन की हालत गंभीर

छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में हर वर्ष की भांति इस बार भी ‘गोटमार’ मेले आयोजित हुआ। पत्थरबाजी में 250 से ज्यादा लोगों के घायल होने के समाचार हैं। करीब 250 साल पुरानी इस परंपरा के तहत सांवरगांव और पांढुर्णा के लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। इस मेले का इतिहास प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है।

Om Prakash Napit

पांढुर्णा और सांवरगांव के लोग एक दूसरे पर बरसाते हैं पत्थर

गौरतलब है कि जिस जगह यह खेल आयोजित किया जा रहा है वह छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर है। यह कन्हान नदी पर बने पुल पर खेला जाता है। इस खेल को पांढुर्णा और सांवरगांव के लोग खेलते हैं। इस खतरनाक खेल में दोनों ओर से पत्थरबाजी की जाती है। पत्थर किसको और कितना घायल करेगा इससे पत्थरबाजों को कोई मतलब नहीं होता। इसके लिए एक दिन पहले पुल के पास पत्थर इकट्ठे किए जाते हैं, ताकि पत्थरबाजी में किसी तरह की कमी न रह जाए। इस बार भी ऐसी ही व्यवस्था पहले ही कर ली गई थी। उसके बाद सुबह होते ही खिलाड़ियों का आना शुरू हो गया और थोड़ी देर बाद दोनों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई।

परंपरा के नाम पर खूनी खेल, रोकने की कोशिशें नाकाम

पुलिस और प्रशासन के अफसर इस खेल को बंद करवाने या फिर इसका स्वरूप बदलने की लगातार कोशिश करते रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। परंपरा के नाम पर लोग प्रशासन की बात मानने को तैयार नहीं होते। एक बार प्रशासन ने इस खेल के स्वरूप को बदलने के लिए लोगों को रबर की गेंदें दीं, लेकिन लोगों ने इसके इस्तेमाल से साफ मना कर दिया और पत्थरबाजी करते रहे। इसके अलावा भी प्रशासन ने कई प्रयास किए थे। उसने गोटमार वाले दिन अलग-अलग प्रतियोगिताएं आयोजित करवाईं, ताकि लोगों का ध्यान दूसरे खेलों की तरफ आकर्षित हो और पत्थरबाजी में कमी आए, लेकिन लोगों ने इस बात को भी स्वीकार नहीं किया।

प्रेम से हुई इस खेल की शुरुआत

इस खेल को एक किवदंती से जोड़ा जाता रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि पांढुर्णा के लड़के को सांवरगांव की लड़की से प्रेम हो गया था। दोनों गांववालों की मर्जी के विरुद्ध भाग गए थे। तभी नदी पार करते समय लोगों ने इन्हें देख लिया और दोनों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। दोनों प्रेमियों ने यहीं दम तोड़ दिया। उसी समय से इस खेल की शुरुआत हुई। वैसे तो, पांढुर्णा संतरे और कपास के लिए पहचाना जाता है, लेकिन अब गोटमार भी इसकी मुख्य पहचान बन चुकी है।

अब तक 16 लोगों की जान ले चुका यह खेल

इस खूनी खेल में अब तक 16 लोग अपनी जान गवा चुके हैं। आज भी गोटमार का खेल नजदीक आते ही मृतकों के परिवार वाले सिहर उठते हैं। इसी तरह गोटमार खेलने वालों के परिवारों की जान सांसत में बनी रहती है।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार