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SI Original: पेट्रोल और डीजल के वाहन जल्द हो रहे बंद! सरकार लेने जा रही ये बड़ा एक्शन, Low Emission Zone में चुकानी पड़ेगी पुराने वाहनों को भारी कीमत

दुनियाभर में एयर क्वालिटी तेजी से खराब होती जा रही है, ऐसे में कुछ स्थानों में प्रवेश करने वाले पॉल्यूशन जेनरेट करने वाले वाहनों की मात्रा को सीमित करने के उपाय लागू किए जा रहे हैं। पेरिस और एम्स्टर्डम सहित पूरे यूरोप के कई शहरों में कम उत्सर्जन क्षेत्र (एलईजेड) तैयार किए गए हैं।

ChandraVeer Singh

गत वर्ष नवंबर 2021 में ग्लासगो क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत ने घोषणा की थी वह रिन्यूबल एनर्जी पर डिपेंडेंसी को 50 प्रतिशत बढ़ाकर 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करेगा। यह घोषणा भी की गई थी कि देश का लक्ष्य 2070 तक 0-0 उत्सर्जन हासिल करना है। वहीं अब केंद्रीय बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ घोषणाएं कीं है जो सरकार की भावी योजनाओं के हिसाबस सही बैठ रही हैं। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी की घोषणा के साथ वित्त मंत्री ने बतया था कि देश में प्रतिबंधित क्षेत्र स्थापित किए जाएंगे जहां आईसीई वाहनों की अनुमति नहीं होगी।

वहीं शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए स्पेशल डायनेमिक क्षेत्र को 0 फॅासिल्स फ्यूल के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।" लेकिन यह साफ नहीं है कि ICE वाहनों के लिए यह नो-गो पॉलिसी कब से लागू होगी, लेकिन इस पर आइडिएशन के लिए के लिए बहुत कुछ है।

भारत में यदि लो एमिशन जोन बनता है तो आपको भी हर बार एंट्री के लिए करना पड़ सकता है मोटा भुगतान

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने इसके लिए लंदन के अल्ट्रा लो एमिशन ज़ोन (ULEZ) का एग्जाम्पल दिया है। जिसके तहत पेट्रोल कारें जो यूरो 4 उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करती हैं, और डीजल कारें जो यूरो 6 मानकों को पूरा नहीं करती हैं,

उन्हें लंदन में यूएलईजेड में प्रवेश करने पर हर बार भुगतान करना पड़ता है। आपको बता दें, भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता का विषय है। नई दिल्ली ने इसे नियंत्रण में रखने के लिए पहले ही कानून बनाए हैं,

एक निश्चित उम्र से अधिक पेट्रोल और डीजल कारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और पुरानी कारों को ईवी में बदलने के लिए कानूनी बना दिया है। ऐसे में दिल्ली सहित अन्य राज्यों के शहरों को लो एमिशन जोन में तब्दील किया गया तो हो सकता है कि ऐसे जोन में वाहन के साथ प्रवेश करने के लिए हर बार चालक को कीमत चुकानी पड़े।

आखिर क्‍या है अल्‍ट्रा लो इमिशन जोन ( ULEZ ) ?

साल 2019 में अल्‍ट्रा लो एमिशन जोन ब्रिटिश के मध्‍य लंदन में लागू किया गया था। इसका मकसद लंदन में वायू प्रदूषण को कम करना और पूराने वाहनों को रोकने के लिए बनाया गया था। इन नियमों का उल्‍लंघन करने पर कठोर जुर्माने का प्रावधान रखा गया। खास बात यह है कि नियमों का उल्‍लंघन करने पर लोगों को यहां डेली भुगतान करना होता है। यह 24 घंटे संचालित होता है। इसके लिए लंदन के परिवहन विभाग ने इसके लिए वेबसाइट भी बनाई है। इस वेबसाइट पर नए नियमों की जानकारी दी गई है। इस वेबसाइट पर डेटा से पता चल जाता है कि कौनसा वाहन अपडेट और कौनसा आउटडेटेड।

यह जोन बनाने का क्या हुआ असर?

लंदन के हर दिन इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सबसे खराब प्रदूषण करने वाले वाहनों की संख्या मार्च 2019 में 35,578 से गिरकर उसी वर्ष अप्रैल में 26,195 हो गई, चार्ज लागू होने के बाद जुलाई 2019 में यह संख्या और गिरकर 23,054 रह गई।

लो एमिशन जोन की जरूरत क्यो पढ़ रही है?
दुनियाभर में एयर क्वालिटी तेजी से खराब होती जा रही है, ऐसे में कुछ स्थानों में प्रवेश करने वाले पॉल्यूशन जेनरेट करने वाले वाहनों की मात्रा को सीमित करने के उपाय लागू किए जा रहे हैं। पेरिस और एम्स्टर्डम सहित पूरे यूरोप के कई शहरों में कम उत्सर्जन क्षेत्र (एलईजेड) तैयार किए गए हैं, हालांकि वर्तमान में लंदन में संचालित लो एमिशन जोन व्यापक है।
...तो क्या चुकानी होगी कीमतॽ
साथ ही, यह भी एक तथ्य है कि कोई भी किसी भी शहर में वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता, ये कह सकते हैं कि फिलहाल तो नहीं। क्योंकि यह रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह से बाधित कर सकता है। जहां बीएस4 कंप्लायंस्ड कारों के लिए सीएनजी किट की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है, वहीं बीएस6 कारों के लिए भी इसी तरह का कानून जल्द ही प्रस्तावित किया जाने वाला है। ये भी सच है कि देश में बढ़ते प्रदूषण के चलते लंदन की तरह लो एमिशन जोन देर सवेर बनाए ही जाएंगे। ऐसे में ये निश्चित है कि यदि इस तरह के जोन बने और आपके पास व्हीकल नॉर्म्स के अनुसार

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