मामला अलवर जिले के बानसुर का है जहां पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए डीजीपी राजस्थान व अलवर एसपी को मामले की जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है क्योकि मामले को पहले रेप और पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया था, फिर अचानक मामला कैसे अपहरण और धमकाने का बन गया? इस मामले में अलवर पुलिस का शर्मनाक चेहरा सामने आया। एसएचओ रवींद्र काविया ने आरोपी को जमानत दिलाने के लिए पूरे मामले को ही बदल दिया।
पुलिस ने पीड़िता से मिलने के बाद पहले थाने में ही 161 में बयान दिए । बयानों में पीड़िता ने रेप की बात कही । इस पर पुलिस ने 17 जून को शाम 4:10 बजे डायरी में 353, 376 व पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। बाद में पीड़िता के 164 बयान लिए गए। पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता को सूचित नहीं किया और पीड़ित पर मानसिक दबाव बनाकर स्पष्ट बयान नहीं दिया। इसके बाद 18 जून को केस डायरी में बयानों का हवाला देते हुए पोक्सो एक्ट और 376 की धाराओं को हटाकर जेजे एक्ट की धारा 363, 506 और 84 का अपराध मान लिया ।
एडीजे यशवंत भारद्वाज ने कहा- पीड़िता का मेडिकल भी कराया गया है, जिसमें साफ लिखा है कि एफएसएल की रिपोर्ट आने से पहले कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है. पुलिस ने अभी तक एफएसएल रिपोर्ट भी जमा नहीं की है। एसएचओ ने जमानत के वक्त रेप की धारा को हटा दिया, वहीं पीड़िता ने 161 के बयानों और कोर्ट में भी पेश होकर रेप की बात कही है । पुलिस ने आरोपी को जमानत दिलाने के लिए हल्की धाराओं में सेटिंग कर ली है।
मैं 12 जून 2022 को घर पर सो रही थी। रात करीब 1 बजे दौलतराम अपने एक साथी के साथ आया। और नशीला पर्दाथ सुंघा कर बेहोश कर दिया। आरोपी ने मुझे बाइक पर बिठाया और फरीदाबाद ले गया। वहां एक कमरे में रखा जहां दौलतराम ने मेरे साथ रेप किया। उसके बाद वह मुझे नीमराना ले गए। यहां भी उसने मेरे साथ रेप किया। पुलिस ने नीमराना पहुंचकर मुझे छुड़ाया।
पुलिस ने दौलतराम को भी गिरफ्तार कर लिया। मुझे वहां से लाकर पुलिस मेडिकल के लिए हरसौरा अस्पताल ले गई। पुलिस ने धमकाकर मेरे बयान लिए। दौलतराम भी वहां मौजूद था। दौलतराम ने मेरे परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी। पुलिस दौलतराम से भी मिल चुकी है। जब मुझे 164 का बयान लिया तो मेरे माता-पिता को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई. (जैसा कि पीड़िता ने 4 जुलाई को कोर्ट को दिए अपने बयान में बताया था)
कोर्ट ने 4 जुलाई को आदेश जारी कर बानसूर एसएचओ को मुकदमे में सुनवाई के लिए पेश होने का आदेश दिया । कोर्ट ने लिखा कि पीड़िता नाबालिग है। पहली जांच में पीड़िता को नाबालिग मानकर पोक्सो एक्ट और 376 का अपराध माना गया था, लेकिन अब पुलिस ने पोक्सो एक्ट और धारा 376 को हटा दिया है । अपराधी को जमानत देने से पहले यह स्थिति स्पष्ट होना जरूरी है ।