जनवरी 2024 में रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा
जनवरी 2024 में रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा  
राष्ट्रीय

2000 साल तक सुरक्षित रहेगा राम मंदिर, इसके लिए किया जा रहा वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग

Kunal Bhatnagar

भगवान श्री रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर से किया जा रहा है। जिसमें गर्भगृह सहित 14 दरवाजे होंगे और इन दरवाजों को स्थापित करने के लिए मकराना संगमरमर के दरवाजे की चौखट और किनारे बने हैं। इन चौखट और किनारों की नक्काशी मुस्लिम समाज के लोगों ने द्वारा की गई है, इस चौखट को राम जन्म कार्यशाला के किनारे रखा गया है।

जनवरी 2024 में रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा

किस तरह से हजारों सालों तक इसकी सुरक्षा हो सके इस योजना का भी पूरा ध्यान रखा गया है, रामलला के मंदिर आंदोलन के दौरान 1990 से राम जन्म की एक कार्यशाला बनाई गई थी, जहां बंसी पहाड़पुर के पत्थरों को तराश कर मंदिर निर्माण के लिए रखा गया था। तीन दशक बाद समाप्त हुए रामलला का बहुप्रतीक्षित मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गया है । जनवरी 2024 में रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा, ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर की भव्यता के लिए लगातार काम कर रहा है.

मंदिर बनाने में इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की राय भी ली

समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में कार्यकारिणी संगठन के लोग मंदिर निर्माण को लेकर मंथन करते हैं, जिसमें इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की राय भी ली जाती है । इसमें वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग भी प्रयोग किया जा रहा है, जिसके कारण प्राकृतिक विपदाओं से भी मंदिर सुरक्षित रहेगा, मंदिर के निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री भी उच्च गुणवत्ता की है। अभी तक मंदिर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है, मंदिर की पहली मंजिल 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगी।

चौखट 2000 साल तक सुरक्षित रहेगी

मुस्लिम कारीगरों ने राम मंदिर की चौखट तैयार की है, जो 2000 साल तक सुरक्षित रहेगी, राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। और इसमें लगे मकराना मार्बल की चौखट भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगी। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा की माने तो यह चौखट 2000 साल तक सुरक्षित रहेगी। जिसे अयोध्या के वर्कशॉप पर तैयार रखा गया है ।

इस चौखट को मुस्लिम कारीगरों ने तैयार किया

मीडिया को जानकारी देते हुए शरद शर्मा ने बताया कि इस चौखट को मुस्लिम कारीगरों ने तैयार किया है । इसी के साथ जानकारी साझा करते हुए शर्मा ने कहा कि जिस समय इस पत्थर को तराशा गया था उस समय मकराना में जो फर्म थी वह मुस्लिम समाज की थी। और वहां के मुस्लिम लोगों ने इसे अपना सौभाग्य माना कि हमारे हाथों से तराशे गए पत्थरों को राम जन्मभूमि के चौखट में रखा जाएगा। इस तरह उन्होंने इस पत्थर को बड़े मजे से तराशा और इन पत्थरों का इस्तेमाल मंदिर के निर्माण में किया जाएगा। फिलहाल मकराना से बनी चौखट को वर्कशॉप में सुरक्षित रखा गया है.

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